यूपी की इस सीट पर त्रिकोणीय संघर्ष! सपा नेता के बीजेपी में जाने मची हलचल
बलिया लोकसभा सीट को लेकर अब यह सवाल उठ रहे हैं कि नारद राय के बीजेपी के साथ जाने का क्या असर होगा? आइए हम आपको बताते हैं कि बलिया लोकसभा सीट का जातीय समीकरण क्या है-
Ballia Lok Sabha Seat पर 1 जून को लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होना है. इससे पहले समाजवादी पार्टी को बड़ा झटका लगा है. सपा नेता रहे नारद राय ने अब भारतीय जनता पार्टी के साथ जाने का फैसला कर लिया है. माना जा रहा है कि वह सपा से लोकसभा चुनाव में टिकट मांग रहे थए हालांकि पार्टी ने सनातन पांडेय को उम्मीदवार बनाया.
वाराणसी में सपा के वरिष्ठ नेता नारद राय और गृहमंत्री अमित शाह की मुलाकात हुई. संभावना है कि 29 मई को बलिया में गृह मंत्री अमित शाह की रैली में नारद राय भाजपा में शामिल होंगे.
भारतीय जनता पार्टी ने बलिया से नीरज शेखर को प्रत्याशी बनाया है.भूतपूर्व पीएम चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर फिलहाल राज्यसभा सांसद हैं. साल 2019 में इस सीट पर वीरेंद्र सिंह मस्त ने जीत हासिल की थी. बसपा ने इस सीट से लल्लन सिंह को उम्मीदवार बनाया है.
बलिया लोकसभा में बैरिया, फेफना, मोहम्मदाबाद, बलिया नगर और जहूराबाद विधानसभा सीटें आती हैं. इसमें से तीन पर सपा, 1 बीजेपी और एक पर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने साल 2022 के चुनाव में जीत हासिल की थी.
बलिया में सपा ने सनातन पांडेय को उम्मीदवार बनाकर बीजेपी के ब्राह्मण वोटर्स में सेंध लगाने की कोशिश की है. वहीं बसपा ने लल्लन सिंह को प्रत्याशी बना कर क्षत्रिय मतों में विभाजन की कोशिस की है. इस सीट पर 3 लाख से अधिक ब्राह्मण मतदाता है. इसके बाद 2.5 लाख यादव, 2.5 लाख राजपूत, 2.5 लाख दलित मतदाता है. मुस्लिम मतदाता भी इस सीट पर 1 लाख हैं.
2022 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो फेफना से सपा के संग्राम सिंह, बलिया नगर से बीजेपी के दयाशंकर सिंह, बैरिया से सपा के जय प्रकाश अंचल, जहूराबाद से ओपी राजभर और मोहम्मदाबाद से सपा के मन्नू अंसारी ने जीत हासिल की थी.
इन सबके बीच सवाल यह है कि आखिर नारद राय के बीजेपी में साथ जाने से क्या असर पड़ेगा. सोमवार को एक जनसभा में राय ने कहा था कि मंच से मेरा नाम नहीं लिया गया. मेरे खिलाफ साजिश की जा रही है.अगर नेताजी होते तो ऐसा ना होता.