लखनऊ: अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी का प्रयागराज में दुखद निधन के बाद अयोध्या में हर कोई स्तब्ध है. महंत नरेंद्र गिरी की मौत जिस तरीके से हुई उसको लेकर हर किसी के मन में सवाल है. अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष होने के बावजूद ऐसा क्या हुआ जिसके कारण उन्होंने फांसी लगा ली या फिर इसके पीछे और कुछ है?
अयोध्या में हर कोई बस संवेदना व्यक्त कर रहा है और उनके भक्तों और शिक्षकों को ईश्वर से शक्ति प्रदान करने की बात दोहरा रहा है. इसी के साथ राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास इस मामले की सरकार द्वारा जांच करने की भी मांग कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए जिससे इस मामले का सच सामने आ सके.
सरकार इस पर जांच कराएं- सत्येंद्र दास
सत्येंद्र दास ने कहा कि, "ये एक बहुत बड़ी क्षति हुई और बहुत दुखद है. वो अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष थे सनातन धर्म के बहुत अच्छे थे. कैसे हुआ यह तो जांच का विषय है क्योंकि किसी भी प्रकार का शारीरिक कष्ट उनको नहीं था और बहुत उम्र भी नहीं थी ऐसी स्थिति में जो उनकी मृत्यु हुई है वह निश्चित ही संदेह पैदा करता है. इसलिए इसकी जांच होनी जरूरी है क्योंकि ऐसे संत का जाना बहुत कष्ट दाई हैं. मैं समझता हूं कि सरकार इस पर जांच कराएं उनकी मौत किस कारण हुई है इसकी जांच होना जरूरी है क्योंकि उनकी मौत संदेह पैदा करती है."
उनके शिष्य और भक्तों को भगवान शांति प्रदान करे- राजू दास
वहीं, हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने कहा कि, "हमें समाचार के माध्यम से जानकारी मिली नरेंद्र गिरी के बारे में जो बहुत ही दुखद है. उन्होंने कहा कि, भगवान से प्रार्थना करेंगे कि उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें. ये साधु समाज की अपार क्षति है क्योंकि लगातार अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी जी महाराज लगातार उनके मन में रहते थे. उन्होंने कहा कि, जिस प्रकार से सनातन धर्म संस्कृति में किसी प्रकार का अपवाद होता था तो तुरंत वो आगे आते थे और उसको समाप्त करके शांति का कार्य करते थे."
उन्होंने आगे कहा कि, "ऐसे संत समाज सेवी सभी वर्ग सभी संप्रदाय में उनकी पकड़ थी. सभी संप्रदाय के लोग उनको मानते थे. सभी वर्ग के लोग भी मानते थे यहां तक की अन्य धर्म के लोग भी उनको मानते थे. उन्होंने आगे कहा कि यह सनातन धर्म संस्कृति के लिए अपार क्षति है. हम लोगों में अपार पीड़ा और दुख है और इस दुख की घड़ी में मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं कि उनके जो शिष्य हैं उनको और जो उनके भक्त हैं उनकों शांति प्रदान करें. सब को भगवान शांति प्रदान करें, स्वस्थ और सुरक्षित रखें यही मेरी प्राथना है."
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