Narendra Giri Maharaj Death Case: कई साधु-संतों ने महंत नरेंद्र गिरि को अनपढ़ करार देते हुए दावा किया था कि वह दस्तखत भी ठीक से नहीं कर पाते थे. इस पर महंत नरेंद्र गिरि के मामा प्रोफेसर महेश सिंह ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत की. उन्होंने इस दावों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि महंत नरेंद्र गिरि अनपढ़ नहीं थे. उनके मामा ने बताया कि नरेंद्र गिरि न सिर्फ पढ़े लिखे थे बल्कि उन्होंने बैंक में नौकरी भी की थी. बैंक ऑफ बड़ौदा में वो क्लर्क के पद पर सेवा दे चुके थे.
उनके मामा महेश सिंह ने बताया कि महंत नरेंद्र गिरि ने 1978 में यूपी बोर्ड से हाईस्कूल यानी दसवीं की परीक्षा पास की थी. 1980 में वह इंटरमीडिएट यानी बारहवीं की पढ़ाई कर रहे थे. यह पढाई उन्होंने प्रयागराज के हंडिया इलाके के आमीपुर गिर्दकोट स्थित सरयू प्रसाद सिंह इंटर कालेज से की थी. इंटर की पढ़ाई के दौरान ही उन्हें बैंक में क्लर्क की नौकरी मिल गई थी. जौनपुर जिले की मड़ियाहूं ब्रांच में वे नौकरी करते थे.
तकरीबन सवा साल नौकरी करने के बाद महंत नरेंद्र गिरि ने बैंक की नौकरी छोड़ दी थी. 1981 में बैंक की नौकरी छोड़ने के बाद ही उन्होंने संन्यासी जीवन अपना लिया था. मामा और मामी ही उनकी पढ़ाई कराते थे और उनके अभिभावक की तरह थे. प्रोफेसर महेश सिंह उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के रिटायर्ड सदस्य हैं.
महेश सिंह ने कहा कि वे पढ़ाई में बेहद तेज तर्रार थे. नरेंद्र गिरी को बचपन में लोग ‘बुद्धू’ बुलाते थे. नाम भले ही बुद्धू था, लेकिन वह पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहते थे. कॉलेज में होने वाले सभी शैक्षिक कार्यक्रमों में वो बढ़ चढ़कर हिस्सा भी लेते थे.
वहीं उनकी मामी किरण सिंह ने बताया कि नरेंद्र गिरि डायरी लिखने के भी शौकीन थे. वे डायरियों में अपने जीवन से जुड़े तमाम यादगार पहलुओं को लिखते थे. हालांकि, प्रोफेसर महेश सिंह ने ये बात भी कही कि नरेंद्र गिरि की लिखावट बहुत अच्छी नहीं थी.