लखनऊ: दिल्ली से लखनऊ तक बस एक नाम की ही चर्चा है. ये नाम है एके शर्मा. जिन्हें मोदी मैन कहा जाता है. जो नरेन्द्र मोदी के सीएम से लेकर पीएम बनने तक हमेशा साथ रहे. पूरे 18 सालों तक वे मोदी के साथ परछाईं की तरह रहे. लेकिन तीन दिन पहले उन्होंने अचानक वीआरएस ले लिया. 1988 बैच के IAS अफ़सर अरविंद शर्मा डेढ़ साल बाद रिटायर होने वाले थे. मोदी ने अब उन्हें मिशन यूपी पर भेजा है. वे यहीं के मऊ ज़िले के रहने वाले हैं. आज लखनऊ पहुंचकर वे बीजेपी में शामिल हो गए. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने उन्हें पार्टी में शामिल कराया. उन्हें एमएलसी बनाये जाने का फ़ैसला हुआ है. खबर है कि उन्हें योगी सरकार में मंत्री बनाकर महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी भी दी जा सकती है.


इसी महीने 8 जनवरी को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने दिल्ली में पीएम नरेन्द्र मोदी से मुलाक़ात की थी. कहा जाता है कि मोदी ने उसी समय योगी को इस फ़ैसले के बारे में बता दिया था. उस वक्त अरविंद शर्मा केंद्र में एमएसएमई मंत्रालय में सचिव थे. उन्हें आर्थिक मामलों का जानकार समझा जाता है. शर्मा ने राजनीति शास्त्र में एमए किया है. बीजेपी का नेता बनने के बाद अरविंद शर्मा बोले, मैं पार्टी में सम्मिलित होकर गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं, दल और पार्टियां बहुत हैं, मै मऊ से संबंधित हूं, मेरा किसी राजनीतिक दल से संबंधित नहीं हूं फिर भी बीजेपी जैसी पार्टी का सदस्य बनाया है, ये काम सिर्फ मोदी जी और बीजेपी ही कर सकती हैं.'' अपने भाषण के आख़िर में शर्मा ने कहा कि साहेब के हाथ मज़बूत करता रहूंगा. सत्ता के गलियारों में ब्यूरोक्रेसी मोदी को साहेब ही कहते रहे हैं.


नरेन्द्र मोदी और अरविंद शर्मा का साथ अठारह सालों से भी अधिक का रहा है. सीएम से लेकर पीएम बनने तक शर्मा ने मोदी के साथ काम किया. 7 अक्टूबर 2001 को मोदी पहली बार गुजरात के सीएम बने. तब वे सबसे पहली बार मुख्यमंत्री के सचिव बने. मोदी के पास तीन आईएएस अफ़सरों का पैनल भेजा गया था. लेकिन उन्होंने शर्मा को ही चुना. उस समय वे सरदार सरोवर नर्मदा परियोजना में पुनर्वास मामलों के कमिश्नर थे. मोदी जब बीजेपी के महामंत्री थे तभी उन्हें शर्मा के अच्छे काम के बारे में फ़ीडबैक मिला था. तब तक वे मेहसाणा और खेड़ा ज़िलों के कलेक्टर रह चुके थे. मोदी जब गुजरात के सीएम बने थे तब उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती भूकंप के बाद पुनर्वास की थी.


मोदी के हर विदेश दौरे में शर्मा उनके साथ रहे


सचिव के रूप में अरविंद शर्मा को नरेन्द्र मोदी ने बहुत क़रीब से काम करते देखा. यहीं से उन्होंने मोदी का भरोसा जीता. ये भरोसा अब तक मज़बूत बना है. इसी भरोसे के दम पर मोदी ने शर्मा को यूपी भेजने का फ़ैसला किया है. कहा जा रहा है कि उन्हें राज्य में निवेश लाने की ज़िम्मेदारी दी जा सकती है. साथ ही इंफ़्रास्ट्रक्चर मज़बूत करने का काम भी उन्हें दिए जाने की चर्चा है. सूत्रों की माने तो उन्हें मंत्री बनाए जाने की बात है. शर्मा की एंट्री को लेकर यूपी में सत्ता के गलियारों में तरह तरह की अटकलें हैं. सबसे बड़ा सवाल ये है कि आख़िरी मोदी अपने ख़ास आदमी को वहां क्यों भेज रहे हैं? आख़िर इसकी ज़रूरत क्यों पड़ी? क्या यूपी में सब ठीकठाक नहीं है? सवाल से भी है कि जो अफ़सर सबसे लंबे समय तक मोदी के साथ रहे, उन्हें ही लखनऊ क्यों भेजा गया? वैसे मोदी अपने चौंकानेवाले फ़ैसलों के लिए जाने जाते रहे हैं.


नरेन्द्र मोदी पहली बार 26 मई 2014 को देश के प्रधान मंत्री बने. पीएमओ में सबसे पहली तैनाती अरविंद शर्मा की हुई. 30 मई को उन्हें पीएमओ में संयुक्त सचिव बनाए जाने का आदेश जारी हुआ. बाद में प्रमोशन पाकर वे यहीं एडिशनल सेक्रेटरी भी बनाए गए. गुजरात में मोदी के मुख्यमंत्री रहते हुए शर्मा साढ़े तेरह सालों तक सीएमओ में रहे. मोदी के सचिव रहते हुए उन्होंने औद्योगिक निवेश का काम संभाला. वाइब्रेंट गुजरात समिट कराने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही. मोदी के हर विदेश दौरे में शर्मा उनके साथ रहे. बजट बनाने में भी उनका अहम रोल हुआ करता था. पहली पार अरविंद शर्मा मोदी की छत्र छाया से अलग अब योगी आदित्यनाथ के लिए काम करेंगे.


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