UP News: अब किसानों और शिल्पियों की समृद्धि का जरिया बांस बन रहा है. राष्ट्रीय बांस मिशन काफी मददगार साबित हो रहा है. यूपी सरकार बांस के उत्पादों की विस्तृत चेन और बाजार बनाए जाने की योजना पर आगे बढ़ रही है. बांस की खेती बढ़ाने के साथ कॉमन फैसिलिटी सेंटर खोले जा रहे हैं. बांस उपचार संयंत्र लगाने के काम भी शुरू हो चुके हैं. बहुद्देश्यीय योजना बांस मिशन को बांस की नई किस्मों को विकसित करने, अनुसंधान को प्रोत्साहन करने, हाईटेक नर्सरी लगाने, पौधों में कीट और बीमारी प्रबंधन, बांस से जुड़ी हस्तकला को बढ़ावा देने, बांस उत्पादकों की आय बढ़ाने, बांस उत्पादों के लिए विपणन नेटवर्क विकसित करने और कारीगरों को कच्चा माल उपलब्ध कराने के लिए शुरू किया गया है.
इन जिलों में लागू की जा रही राष्ट्रीय बांस मिशन योजना
अभी बांस मिशन योजना बुंदेलखंड और विंध्याचल क्षेत्र सहित 32 जिलों (38 वन प्रभाग) और बिजनौर सामाजिक वानिकी, नजीबाबाद (बिजनौर), सहारनपुर सामाजिक वानिकी, शिवालिक (सहारनपुर), मुजफ्फरनगर, रामपुर, बरेली, शाहजहांपुर, सीतापुर, पीलीभीत सामाजिक वानिकी, पीलीभीत टाइगर रिजर्व, उत्तर खीरी, दक्षिण खीरी, बहराइच, बाराबंकी, रायबरेली, सुल्तानपुर, प्रयागराज, प्रतापगढ़, फतेहपुर, काशी वन्यजीव (चन्दौली), जौनपुर, वाराणसी, आजमगढ़, गोरखपुर, सोहागीबरवा वन्यजीव (महराजगंज), बलिया, ललितपुर, महोबा, हमीरपुर, बांदा, झांसी, उरई (जालौन), चित्रकूट, मिर्जापुर, सोनभद्र, ओबरा तथा रेनूकूट में लागू की जा रही है.
योजना के तहत प्रदेश में मुख्य रूप से बैम्बूसा बाल्कोआ, बैम्बूसा न्यूटन्स, बैम्बूसा बैम्बोस, डैन्ड्रोक्लेमस हैमिल्टोनी और डैन्ड्रोक्लेमस जाइजेन्टियस जैसी प्रजातियों को उगाने और लगाने का काम कराया जा रहा है. योजना के तहत राजकीय भूमि और निजी कृषक भूमि में बांस पौधशाला लगाने, सामान्य सुविधा केंद्र (सीएफसी), बांस का बाजार, बांस उपचार संयंत्र और वृक्षारोपण के साथ सहायक कार्यों पर सब्सिडी भी मिल रही है. निजी कृषकों, निजी संस्थाओं की तरफ से किए जाने वाले कार्यों पर 50 प्रतिशत की प्रोत्साहन धनराशि दी जा रही है.
किसानों और शिल्पियों की समृद्धि का जरिया बना बांस
राष्ट्रीय बांस मिशन योजना की ट्रेनिंग और जागरूकता के लिए पांच जिलों सहारनपुर, बरेली, झांसी, मिर्जापुर और गोरखपुर में सामान्य सुविधा केंद्रों (कॉमन फेसिलिटी सेंटर-सीएफसी) की स्थापना की गई है. सामान्य सुविधा केंद्रों में प्रशिक्षण कार्यों के लिए क्रॉस कट, बाहरी गांठ हटाने, रेडियल स्प्लिटर, स्लाइसर, सिलवरिंग, स्टिक मेकिंग और स्टिक साइजिंग जैसी मशीनों को स्थापित किया गया है. सामान्य सुविधा केंद्र बांस कारीगरों के समूहों, स्वयं सहायता समूहों, कृषक उत्पाद संगठनों या वन विभाग की संयुक्त वन प्रबंधन समिति की स्थानीय इकाइयों की तरफ से संचालित किये जाएंगे.
स्थानीय किसानों, कारीगरों, उद्यमियों को ट्रेनिंग और रोजगार सृजन के अवसर प्राप्त हो सकेंगे. नेशनल बंबू मिशन के डायरेक्टर के एलंगगो ने बताया कि लचीलेपन और टिकाऊपन में बेजोड़ बहुपयोगी बांस को बढ़ावा देने पर सरकार का खासा जोर है. बांस की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई स्तर पर काम कर रही है. किसानों को जागरूक किया जा रहा है. पर्यावरण को ठीक रखने में बांस काफी सहायक है. बांस नदी की कटान रोकने में काफी महत्वपूर्ण हो सकता है.
प्रदेश की हरियाली का दायरा बढ़ाने में भी होगी मददगार
बांस से जुड़े पर्यावरणीय लाभों पर बीबीएयू के प्रोफेसर डॉ. वेंकेटेश दत्ता ने कहा कि बांस को ऊसर या कम उपजाऊ जमीनों पर लगाया जाना चाहिए. इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए कि ये स्थानीय प्रजातियों को कोई नुकसान न पहुंचाए. कुल मिलाकर, बांस की खेती प्रदेश के किसानों और कारीगरों की आमदनी को बढ़ाने का जरिया बनने जा रही है. इसके साथ प्रदेश की हरियाली का दायरा भी बढ़ाने में मददगार साबित होगी.