National Chambal Sanctuary: राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल वन्यजीव अभयारण्य में बड़ी संख्या में घड़ियाल, डॉल्फिन और ऐलगेटर समेत कई जलीय जीव पाए जाते हैं. जंगल और जानवरों में दिलचस्पी रखने वाले पर्यटकों के लिए यह जगह बेहद खास है. यहां तकरीबन 330 प्रजातियों के पक्षी पाए जाते हैं जिसमें गिद्ध और स्पॉटेड ईगल भी शामिल है. इस अभयारण्य के आकर्षक का केंद्र राजहंस है जो नंवबर से मई तक यहां रहते हैं. 


राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य को साल 1979 में राष्ट्रीय अभयारण्य का दर्जा दिया गया. इसकी सीमाएं मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान तक 5,400 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. यह अभयारण्य चंबल नदी के किनारे स्थित है. यहां घूमने के लिए नवंबर से लेकर मार्च के समय को बेहतर माना जाता है. 


साइबेरियन पक्षियों से लेकर जंगली जानवरों का ये घर


राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य के 400 किलोमीटर में फैले इस जंगल  में 300 से अधिक प्रजाति के पक्षी, जिसमें फ्लामिंगोस डार्टर, भूरा बाज और उल्लू समेत कई अन्य पक्षी यहां रहते हैं इसके अलावा यहां हर साल नवंबर के महीने में साइबेरिया के प्रवासी पक्षी यहां आते हैं.


जानवरों में यहां धारीदार लकड़बग्घा, भेड़िया, चिकने ऊदबिलाव, बंगाल टाइगर, जंगली, रीसस मकाक, हनुमान लंगूर, गोल्डन जैकल, बंगाल लोमड़ी, आम पाम सिवेट, छोटा एशियाई नेवला, भारतीय ग्रे नेवला, जंगली बिल्ली, जंगली सूअर, सांभर, नीलगाय, काला हिरण, भारतीय चिकारा, उत्तरी हथेली गिलहरी, भारतीय कलगी वाला साही यहां देखने को मिल जाते हैं.


अगर सरीसृप की बात की जाएं तो यहां भारतीय फ्लैपशेल कछुआ, नरम खोल कछुआ, भारतीय छत वाला कछुआ, भारतीय तम्बू कछुआ और मॉनिटर छिपकली, घड़ियाल, डॉल्फिन, मगरमच्छ और ऐलेगेटर समेत कई अन्य सरीसृप हैं. ठंड़ियों में यहां ब्लैक-बेलिड टर्न, रेड-क्रेस्टेड पोचार्ड, फेरुगिनस पोचार्ड और बार-हेडेड समेत कई पक्षी यहां रहने आते हैं. 


अटेर किला


राष्ट्र्रीय चंबल अभयारण्य से तकरीबन 4 किलोमीटर की दूरी पर अटेर का किला है. इसका निर्माण राजा बदन सिंह ने साल 1664 ईस्वी में करावाया था. यहां रोजाना हजारों की संख्या में पर्यटक घूमने आते हैं. राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य से इसकी ज्यादा दूरी न होने के कारण पर्यटक दोनों स्थानों पर घूमने जाते हैं.  


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