प्रयागराज, एबीपी गंगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी में हुई हिंसा पर सख्त रुख अपनाते हुए पूरे मामले की जांच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को सौंप दी है। अदालत ने मानवाधिकार आयोग से फौरन जांच शुरू करते हुए एक महीने में अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
अदालत इस मामले में 17 फरवरी को फिर सुनवाई करेगी। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने एएमयू हिंसा में प्रभावित सभी लोगों से एनएचआरसी यानी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सामने अपना पक्ष रखने को कहा है। एनएचआरसी की रिपोर्ट के आधार पर ही अदालत इस मामले में आगे कोई दिशा-निर्देश जारी करेगी।
गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी में 15 दिसंबर को प्रदर्शन के दौरान जमकर हिंसा हुई थी। हिंसा में तमाम लोगों को चोटें भी आईं थीं। एएमयू के पूर्व छात्र मोहम्मद अमान खान ने हिंसा के लिए पुलिस को जिम्मेदार ठहराते हुए उस पर बेवजह बर्बर कार्रवाई किये जाने का आरोप लगाया था और इस मामले में दोषी पुलिसवालों के खिलाफ कार्रवाई किये जाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा सीधे तौर पर सुनवाई से इन्कार किये जाने के बाद मामले की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट में हुई।
चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर की अगुवाई वाली डिवीजन बेंच ने इस मामले की पहली सुनवाई के दौरान ही तल्ख टिप्पणी की थी और कहा था कि तस्वीरें देखकर ऐसा लग रहा है मानो वहां युद्ध जैसे हालात हैं। अदालत इस मामले में यूपी सरकार और अलीगढ़ प्रशासन की रिपोर्ट से सहमत नहीं हुई।
अदालत ने मंगलवार को एएमयू में हुई हिंसा की जांच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को सौंप दी है। अदालत ने आयोग से फौरन जांच शुरू किये जाने, जांच में हर पहलू को लिए जाने और इसे जल्द पूरा किये जाने के भी आदेश दिए हैं। आयोग को इस मामले में एक महीने में अपनी रिपोर्ट अदालत में पेश करनी होगी। चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर और जस्टिस विवेक वर्मा की डिवीजन बेंच इस मामले में 17 फरवरी को फिर से सुनवाई करेगी।