'देवभूमि' उत्तराखंड में इससे पहले भी दिख चुका है तबाही का मंजर, जानें कब-कब आईं प्राकृतिक आपदाएं
उत्तराखंड में रविवार को ग्लेशियर फटने से बड़ी आपदा सामने आई. देवभूमि इससे पहले भी कुदरत के कहर को देख चुकी है. प्रदेश के घटी कुछ बड़ी त्रासदी के बारे में हम आपको बता रहे हैं.
नयी दिल्ली: उत्तराखंड में एक बार फिर आफत आई है. रविवार जोशीमठ में ग्लेशियर फटने से बड़ा हादसा सामने आया. इस प्राकृतिक आपदा में अबतक 10 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं, 150 लोग लापता हैं. ग्लेशियर फटने के चलते नदियों में उफान आ गया है. हालांकि, सरकार ने कई इलाकों में अलर्ट जारी कर दिया है. 2013 की तबाही के निशान अभी भी लोगों के जहन में हैं. आज हम आपको उत्तराखंड में बीते तीन दशक के दौरान आईं प्राकृतिक आपदाओं के बारे बताएंगे.
वर्ष 1991 उत्तरकाशी भूकंप: अविभाजित उत्तर प्रदेश में अक्टूबर 1991 में 6.8 तीव्रता का भूकंप आया. इस आपदा में कम से कम 768 लोगों की मौत हुई और हजारों घर तबाह हो गए.
वर्ष 1998 माल्पा भूस्खलन: पिथौरागढ़ जिले का छोटा सा गांव माल्पा भूस्खलन के चलते बर्बाद हुआ. इस हादसे में 55 कैलाश मानसरोवर श्रद्धालुओं समेत करीब 255 लोगों की मोत हुई. भूस्खलन से गिरे मलबे के चलते शारदा नदी बाधित हो गई थी.
वर्ष 1999 चमोली भूकंप: चमोली जिले में आए 6.8 तीव्रता के भूकंप ने 100 से अधिक लोगों की जान ले ली. पड़ोसी जिले रुद्रप्रयाग में भारी नुकसान हुआ था. भूकंप के चलते सड़कों एवं जमीन में दरारें आ गई थीं.
वर्ष 2013 उत्तर भारत बाढ़: जून में एक ही दिन में बादल फटने की कई घटनाओं के चलते भारी बाढ़ और भूस्खलन की घटनाएं हुईं थीं. राज्य सरकार के आंकलन के मुताबिक, माना जाता है कि 5,700 से अधिक लोग इस आपदा में जान गंवा बैठे थे. सड़कों एवं पुलों के ध्वस्त हो जाने के कारण चार धाम को जाने वाली घाटियों में तीन लाख से अधिक लोग फंस गए थे.
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