Navratri 2021: प्रयागराज में है शक्तिपीठ अलोप शंकरी, यहां देवी की मूर्ति के बजाय होती है पालने की पूजा
Navratri in Prayagraj: प्रयागराज के अलोप शंकरी मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ है. इस शक्तिपीठ में देवी मां की कोई मूर्ति नहीं है और श्रद्धालु एक पालने की पूजा करते हैं.
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Prayagraj Navratri 2021: मां दुर्गा की आराधना का पर्व शारदीय नवरात्र आज से शुरू हो गया है. संगम नगरी प्रयागराज में भी देवी आराधना के पर्व की धूम मची हुई है. यहां शक्तिपीठ अलोप शंकरी (Alop Shankari) से लेकर दूसरे देवी मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी हुई है. बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन पूजन करने व देवी मां का आशीर्वाद लेने के लिए पहुंच रहे हैं.
हालांकि इस बार के नवरात्र पर भी कोरोना का साया साफ तौर पर देखने को मिल रहा है. महामारी की वजह से कम संख्या में ही श्रद्धालु दर्शन पूजन करने के लिए मंदिरों तक जा रहे हैं. ज्यादातर श्रद्धालु घर पर ही कलश स्थापना कर देवी मां की आराधना कर रहे हैं, लेकिन शक्तिपीठ अलोप शंकरी में सुबह से ही बड़ी तादाद में श्रद्धालु दर्शन पूजन के लिए पहुंचे हैं. दर्शन पूजन के लिए आने वाले श्रद्धालु अपने और अपने परिवार की सुख समृद्धि की कामना तो कर ही रहे हैं साथ ही देश और दुनिया से कोरोना की महामारी के खात्मे के लिए खास तौर पर प्रार्थना भी कर रहे हैं.
यहां गिरी थी माता सती की उंगली
स्कंद पुराण के मुताबिक भगवान शिव ने जब सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के टुकड़े किए थे तो दाहिने हाथ की छोटी उंगली यही गिरकर अलोप यानी अदृश्य हो गई थी. इसी वजह से इस शक्तिपीठ को अलोप शंकरी कहा जाता है. पुराण में वर्णित कथा के मुताबिक शिवप्रिया सती के दाहिने हाथ की उंगली जब यहां गिरी थी तो उस वक्त यहां एक कुंड यानी तालाब हुआ करता था.
खास बात यह है इस शक्तिपीठ में देवी मां की कोई मूर्ति नहीं है और श्रद्धालु एक पालने की पूजा करते हैं. देश के कोने-कोने से आए श्रद्धालु इसी पालने का दर्शन करते हैं और इसी में देवी मां के दिव्य स्वरूप को मानकर इसकी आराधना करते हैं. नवरात्र के पहले दिन आज गर्भ गृह में इस पालने के साथ ही पूरे मंदिर परिसर को खूबसूरती से सजाया गया है. वाराणसी और कोलकाता से कई क्विंटल फूल मंगाए गए हैं.
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