Navratri 2021: धर्मनगरी हरिद्वार को शक्ति पीठ की भूमि भी कहा जाता है, यहां माता के अनेक मंदिर मौजूद हैं. इन मंदिरों में से एक विख्यात प्रसिद्ध मंदिर है मां चंडी देवी का मंदिर. माता का यह मंदिर पूरे देश में मौजूद 52 शक्ति पीठों में से एक है. नील पर्वत पर स्थित मां चंडी देवी के मंदिर में माता खम्ब रूप में विराजमान है. यूं तो पूरे साल यहां माता के भक्तों का तांता लगा रहता है, पर नवरात्र के समय यहां का दृश्य और भी अलौकिक होता है. मान्यता है कि नवरात्र के समय जो भी भक्त पूरे मन से माता के दर्शन करता है और उनकी आरधना करता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. इस कारण हर साल चैत्र और शारदीय नवरात्र के मौके पर हजारों की संख्या में भक्त यहां दर्शन करने पहुंचते हैं.
कैसे लिया माता ने अवतार
मां चंडी मंदिर के पुजारी रोहित गिरी बताते हैं कि आदि काल में जब शुम्भ निशुम्भ व् महिसासुर ने इस धरती पर प्रलय मचाया हुआ था तब देवताओं ने उनका संहार करने का प्रयास किया मगर जब उन्हें सफलता नहीं मिली तो उन्होंने भगवान् भोलेनाथ के दरबार में दोनों के संहार के लिए गुहार लगायी तब भगवान भोलेनाथ व देवताओं के तेज से मां चंडी ने अवतार लिया और चंडी का रूप धर कर उन दैत्यों को दौड़ाया शुम्भ निशुम्भ जब नील पर्वत पर मां चंडी से बच कर छिपे हुए थे, तभी माता ने यंहा पर खंब रूप में प्रकट हो कर दोनों का वध किया. दोनों राक्षषों के वध करने के बाद माता ने देवताओं से वर मांगने को कहा. तब स्वर्ग लोक के सभी देवताओं ने मानव जाति के कल्याण के लिए माता चंडी को इसी स्थान पर विराजमान रह कर अपने भक्तों के कल्याण का वरदान मांगा तब से ही माता यहां पर विराजमान हो कर अपने भक्तों का कल्याण कर रही हैं. नीत पर्वत निर्मल पावन गंगा नदी के तट पर स्थित है. हर साल हजारों भक्त मां के दरबार में माथा टेकने आते हैं.
हरिद्वार आने वाले भक्त जरूर करते हैं माता के दर्शन
नवरात्रों के दौरान धर्मनगरी हरिद्वार पहुंचने वाले भक्त माता के दरबार में अपना शीश नवाना नहीं भूलते. मान्यता है कि जो भी भक्त माता के पसंदीदा भोग नारियल को लेकर माता से सच्चे मन से प्राथना करता है तो उसकी मुराद अवश्य पूरी होती है. यही कारण है कि शारदीय नवरात्रों के दौरान यहां पर दूर दूर से भक्तों की लम्बी कतारें नजर आती हैं.
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