Navratri 2021: शारदीय नवरात्रि पर तरकुलहा माता मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ जुटी है. कहते हैं कि मां के दरबार में जो भी मुराद मांगो वो पूरी होती है. शारदीय नवरात्रि पर इस मंदिर में पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है. यही वजह है कि शारदीय नवरात्रि के हर दिन यहां भक्तों का सैलाब देखने को मिलता है. गोरखपुर से 20 किलोमीटर दूर मां तरकुलहा देवी के मंदिर पर मुराद मांगने दूर-दराज से लोग आते हैं. नवरात्रि के पहले दिन भक्तों की भीड़ माता के दरबार में उमड़ पड़ी है. 


पुजारी पंडित दिनेश मिश्रा बताते हैं कि तरकुलहा माता मंदिर का आजादी की भूमिका में बहुत बड़ा योगदान रहा है. क्रांतिकारी शहीद बाबू बंधु सिंह अंग्रेजों से बचने के लिए जंगल में रहने लगे. जंगल में तरकुल के पेड़ों के बीच में पिंडी स्थापित की. अंग्रेजी हुकूमत में शहीद क्रांतिकारी बाबू बंधु सिंह इस मंदिर से गुरिल्ला युद्ध कर कई अंग्रेज अफसरों की बलि देते रहे हैं. जब अंग्रेजो ने बाबू बंधु सिंह को पकड़ा तो फांसी की सजा सुनाई. दिलचस्प है कि सात बार तो फांसी का फंदा टूट गया. आठवीं बार जब फांसी लगी, तो बाबू बंधु सिंह ने मां का आह्वान किया कि हे मां अब उन्हें अपने चरणों में जगह दें.


उधर फांसी हुई, इधर तरकुल का पेड़ टूटा और रक्त की धार बहने लगी. तबसे इस मंदिर पर लोगों की आस्था जुड़ गई और श्रद्धालुओं की भीड़ माता रानी के दरबार में जुटने लगी. वर्तमान में मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ और भक्तों की आस्था का बड़ा केंद्र बन गया है.



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