Agra News Today: देश में गुरुवार (3 अक्टूबर) से पावन नवरात्र की शुरूआत हो गई. आज नवरात्र का पहला दिन है. माता रानी की श्रद्धा में यह पावन 9 दिन बहुत विशेष होते हैं. ज्यादातर लोग 9 दिन तक व्रत कर माता रानी की विशेष आराधना करते है. नवरात्रों में माता रानी का घर-घर में आगमन होता है और जयकारों की गूंज सुनाई देती है.
इस बार माता रानी की इको फ्रेंडली प्रतिमाएं तैयार की जा रही हैं. माता रानी की इको फ्रेंडली मिट्टी की प्रतिमाओं की आगरा में बहुत डिमांड है. जिन्हें कलकत्ता के कारीगरों ने तैयार किया है. कलकत्ता में दुर्गा उत्सव की विशेष धूम रहती है, अब आगरा में कलकत्ता के कारीगरों के जरिये तैयार की गई इको फ्रेंडली मिट्टी की प्रतिमाएं उत्सव को दोबाला कर देती हैं.
कलित- मनमोहक प्रतिमाएं बनी आकर्षण
कलकत्ता से आए कारीगर कई महीनों से लगातार दुर्गा माता की प्रतिमाएं तैयार कर रहे है, जो लोगों को बहुत पसंद आ रही है. जिसे भक्त अपनी श्रद्धा के मुताबिक स्थापना के लिए घर जा रहे हैं. आस्था के साथ- साथ पर्यावरण संरक्षण के संदेश के साथ प्रतिमाओं को लोग घरों में स्थापित कर रहे हैं.
मिट्टी से तैयार की गई बेहत कलित और मनमोहक माता रानी की प्रतिमाएं विसर्जन के दौरान पानी में घुल जाएंगी, जिससे पर्यावरण को कोई भी नुकसान नहीं होगा और आस्था भी बनी रहेगी. कलकत्ता से आए कारीगरों ने माता रानी की प्रतिमाएं तैयार की है. यह कारीगर माता रानी की प्रतिमाओं को बहुत ही सुंदर ढंग से श्रृंगार करते हैं.
6 महीने पहले तैयार की जाती है प्रतिमाएं
अष्ठ भुजा और शेर की सवारी करती हुए माता रानी की प्रतिमाएं बहुत की मनमोहक लग रही हैं और यही कारण है कि मिट्टी की प्रतिमाओं की डिमांड बनी हुई है. कलकत्ता से आए कारीगर ने माता रानी की भव्य और दिव्य प्रतिमाओं को लगातार 6 महीने तक पूरी श्रद्धा और तन्मयता से तैयार करते हैं.
माता रानी की सुंदर प्रतिमाएं अलग- अलग साइज में उपलब्ध हैं. भक्त अपने हिसाब से छोटी और बड़ी प्रतिमाओं का चुनाव कर उन्हें स्थापित करने के लिए ले जाते हैं. इस दौरान कुछ लोग माता रानी की प्रतिमा को अपने घर में स्थापित करेंगे, तो कुछ लोग पंडाल लगाकर सार्वजनिक तौर से माता रानी की प्रतिमा की स्थापना कर पूजा अर्चना करेंगे.
मूर्तिकारों ने क्या कहा?
कलकत्ता से आए कारीगर विकास दास ने बताया कि हम 6 महीने पहले ही आगरा में आ जाते हैं और यहां सालों से माता रानी की प्रतिमाएं तैयार कर रहे हैं. यह प्रतिमाएं पूरी तरह से मिट्टी से तैयार की गई है, इसकी वजह यह है कि विसर्जन के दौरान पर्यावरण को कोई नुकसान न हो. इसे लोग खूब बहुत पसंद कर रहे हैं.
मूर्तिकार विकास दास के मुताबिक, आगरा में मिट्टी की प्रतिमाओं की बहुत डिमांड होती है. उन्होंने कहा कि विसर्जन के बाद पानी में मिट्टी से बनी प्रतिमाएं जल्दी घुलती हैं, इससे आस्थाओं का अपमान नहीं होता है और श्रद्धा बरकरार रहती है. इसके अलावा यह पर्यावरण संरक्षण का भी विशेष संदेश देती हैं.
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