Nazul Bill UP: उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में सबसे ज्यादा चर्चा नजूल बिल की रही. हालांकि आखिरी वक्त में यह बिल फंस गया. अब यह सवाल उठ रहा है कि विधानसभा में नजुल संपत्ति विधेयक कैसे फंसा? आइए जानते हैं इसकी इनसाइड स्टोरी
बीजेपी के विधायकों ने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी से मुलाकात की. विधायकों ने बिल पास होने की सूरत में बीजेपी को पूरे राज्य में होने वाले भारी नुकसान की आशंका जताई. नेता विधान परिषद केशव प्रसाद मौर्य भी विधेयक से असहमत दिखे. खास बात यह कि विधानसभा में में बिल का विरोध करने वाले दोनों भाजपा विधायक सिद्धार्थ नाथ सिंह और हर्ष बाजपेई प्रयागराज क्षेत्र से आते हैं. डिप्टी सीएम केशव मौर्य भी इसी क्षेत्र से हैं.
केशव से भी मिले विधायक
बीजेपी के विधायक केशव मौर्य से भी मिले और इस बिल का विरोध करने की बात कही. विधान परिषद के सभी सदस्यों की आम सहमति से यह तय हुआ इस बिल को पास होने से रोका जाए.
इसके बाद बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने विधान परिषद में खड़े होकर इस बिल पर आपत्ति जताई और इसे प्रवर समिति को सौंपने को कहा. इसके बाद यह बिल फंस गया और इस प्रवर समिति को सौंपने का फैसला लिया गया.
बीजेपी के सहयोगी भी नाराज?
यूपी में बीजेपी की सहयोगी अपना दल एस की नेता और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने भी इसका विरोध किया और गंभीर आरोप भी लगाए. उन्होंने लिखा- नजूल भूमि संबंधी विधेयक को विमर्श के लिए विधान परिषद की प्रवर समिति को आज भेज दिया गया है. व्यापक विमर्श के बिना लाये गये नजूल भूमि संबंधी विधेयक के बारे में मेरा स्पष्ट मानना है कि यह विधेयक न सिर्फ़ ग़ैरज़रूरी है बल्कि आम जन मानस की भावनाओं के विपरीत भी है. उत्तर प्रदेश सरकार को इस विधेयक को तत्काल वापस लेना चाहिए और इस मामले में जिन अधिकारियों ने गुमराह किया है उनके ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई होनी चाहिए.
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