Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के बीच कांग्रेस ने बड़ा फैसला लिया है. सूत्रों का दावा है कि इस बार के चुनाव में राहुल गांधी या प्रियंका गांधी वाड्रा में कोई भी अमेठी या फिर रायबरेली लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ेगा. आजादी के बाद 75 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा जबकि नेहरू-गांधी परिवार एक्टिव पॉलिटिक्स में रहते हुए भी उत्तर प्रदेश की किसी भी सीट से चुनाव नहीं लड़ेगा. 


दरअसल, देश में पहला आम चुनाव 1952 में हुआ था, तब पंडित जवाहर लाल नेहरू ने यूपी की फूलपुर सीट से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की थी. इसके बाद अगले दो चुनाव साल 1957 और साल 1962 में वह सीट से चुनाव लड़े और जीत दर्ज की. इसके अलावा नेहरू-गांधी परिवार से पंडित नेहरू की बहन विजय लक्ष्मी पंडित भी साल 1952 का चुनाव लड़ी थीं. वह लखनऊ सीट से चुनाव लड़ीं और जीत दर्ज की.


पहली बार जीतीं थी इंदिरा गांधी
साल 1957 के चुनाव में फिरोज गांधी भी रायबरेली सीट से चुनाव लड़े और जीत दर्ज की थी. लेकिन 1960 में फिरोज गांधी का निधन हो गया था. भूतपूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद जब फूलपुर सीट पर उपचुनाव हुआ तो उनकी बहन विजय लक्ष्मी पंडित चुनाव लड़ीं और उन्होंने जीत दर्ज की थी. इसके बाद 1967 के लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी पहली पर चुनाव लड़ी थीं, इससे पहले वह राज्यसभा सांसद थीं. 


भूतपूर्व प्रधानमंत्री  इंदिरा गांधी ने अपना पहला लोकसभा चुनाव रायबरेली सीट से लड़ा था और उन्होंने जीत दर्ज की थी. इसके बाद 1971 के चुनाव में भी वह इसी सीट से जीत कर संसद गई थीं. इसके बाद इमरजेंसी का दौर आया और फिर साल 1977 में चुनाव हुए थे. तब साल 1977 के चुनाव में इंदिरा गांधी रायबरेली और संजय गांधी अमेठी से चुनाव लड़े थे. हालांकि दोनों ही इस चुनाव में अपनी सीट पर हार गए थे. 


फिर साल 1980 में जनता पार्टी की सरकार गिर गई और  लोकसभा चुनाव हुए. तब इंदिरा गांधी रायबरेली और संजय गांधी अमेठी से चुनावी मैदान में थे. इस बार दोनों ही नेताओं ने जीत दर्ज की थी.  चुनाव के बाद साल 1981 में संजय गांधी का निधन हो गया. उनके निधन के बाद अमेठी में उपचुनाव हुआ तो राजीव गांधी कांग्रेस के उम्मीदवार थे और उन्होंने जीत दर्ज की.


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चार बार जीते राजीव गांधी 
साल 1984 के लोकसभा चुनाव में फिर से वह अमेठी सीट से चुनाव लड़े और जीत दर्ज की थी. तब इंदिरा गांधी का निधन होने के बाद कांग्रेस ने रिकॉर्ड जीत दर्ज की थी.  इंदिरा गांधी के निधन के बाद राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने थे. राजीव गांधी साल 1981, साल 1984, साल 1989 और साल 1991 में सांसद रहे. हालांकि राजीव गांधी के निधन के बाद लंबे वक्त तक नेहरू गांधी परिवार राजनीति से दूर रहा.


साल 1998 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद फिर से सोनिया गांधी ने कांग्रेस को खड़ा किया. राजीव गांधी के निधन के बाद नेहरू-गांधी परिवार का कोई भी सदस्य एक्टिव पॉलिटिक्स में नहीं रहा था. जब 1998 में चुनाव के नतीजे आए और कांग्रेस की हार के बाद 14 मार्च 1998 को सोनिया गांधी को पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया. 


सोनिया गांधी ने संभाला मोर्चा
इसके बाद सोनिया गांधी अमेठी से चुनाव लड़ी थीं और उन्होंने जीत दर्ज की थी. इसके बाद सोनिया गांधी ने यह सीट अपने बेटे राहुल गांधी को दे दी. राहुल गांधी इस सीट पर साल 2004, साल 2009, साल 2014 और साल 2019 में चुनाव लड़े थे, साल2019 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. राहुल गांधी के अमेठी से चुनाव लड़ने के दौरान सोनिया गांधी ने रायबरेली को अपना चुनावी क्षेत्र बनाया.


सोनिया गांधी साल 2004, साल 2009, साल 2014 और साल 2019 में रायबरेली से लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंची थीं. अब वह राजस्थान से राज्यसभा सांसद चुनाव कर संसद पहुंच चुकी हैं. अब जबकि दावा किया जा रहा है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी इस बार अमेठी और रायबरेली से चुनाव नहीं लड़ेंगे तो ऐसा पहली बार होगा जब एक्टिव पॉलिटिक्स में रहते हुए भी नेहरू-गांधी परिवार का कोई सदस्य उत्तर प्रदेश से चुनाव नहीं लड़ेगा. 


हालांकि संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी परिवार से अलग होकर लंबे समय से बीजेपी में सक्रिय हैं. वह परिवार से अलग होने के बाद भी लगातार चुनाव लड़ती रही हैं और साल 1984 के चुनाव को छोड़कर उन्होंने हर बार जीत भी दर्ज की है.  वह कांग्रेस से हमेशा दूर रही हैं और उनकी पूरी राजनीति कांग्रेस के नेहरू-गांधी परिवार के अलग रही है.