कानपुर. हैलट अस्पताल में बच्चा बदलने का सनसनीखेज मामला सामने आया है. परिजनों का आरोप है कि उनके घर बेटे ने जन्म लिया था, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने उन्हें बेटी थमा थी. परिजनों ने मामले की शिकायत डीआईजी से की है. डीआईजी ने मामले की जांच सीओ स्वरूपनगर को सौंपी है.


उन्नाव के असोहा के सदासुख खेड़ा की रहने वाली एक महिला को 22 जनवरी को हैलट अस्पताल में भर्ती कराया गया था. महिला ने यहां बेटे को जन्म दिया था. आरोप है कि डॉक्टरों ने बिना किसी जांच के ऑपरेशन किया और परिजनों को कमरे में नहीं जाने दिया. पीड़िता का भाई ब्लड देकर वापस लौटा तो जच्चा और बच्चा वहां पर नहीं मिले. पूछने पर उन्हें बताया गया कि हैलट के सामने स्थित रामा शिव अस्पताल में उन्हें एडमिट कराया गया है जो हैलट की ही शाखा है. कुछ दिनों चले इलाज के बाद अस्पताल प्रशासन ने हजारों का बिल थमा दिया. जिसका विरोध करने पर बिल में कुछ डिस्काउन्ट कर
31 जनवरी को आनन-फानन में महिला को डिस्चार्ज कर दिया गया.


बेटे की जगह बेटी थमाने का आरोप
महिला को डिस्चार्ज कराकर परिजन घर पहुंचे तो हैरान रह गए. उनके हाथ में बच्ची थी. आरोप है कि अस्पताल प्रशासन ने 9 दिन के बच्चे की जगह उन्हें 15 दिन की बेटी थमा दी. पीड़ित परिजनों ने थाने से लेकर अस्पताल प्रशासन तक न्याय की गुहार लगाई, लेकिन किसी ने सुनवाई नहीं की. परिजनों ने डीआईजी कार्यालय पहुंचकर इंसाफ मांगा है. उन्होंने बच्चे का डीएनए टेस्ट कराने की मांग की है.


आशा कार्यकर्ता पर भी आरोप
वहीं डीआईजी कार्यालय में शिकायत की सुनवाई कर रहे सीओ त्रिपुरारी पांडे ने मामले की जांच कराकर उचित कार्यवाही कराने का भरोसा दिया है. परिजनों का आरोप है कि उनके साथ उन्नाव से आई आशा कार्यकर्ता साजिश में शामिल है.


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