Pilibhit: केंद्र सरकार की 'प्रोजेक्ट हाथी' पहल के तहत उत्तर प्रदेश में दुधवा और पीलीभीत बाघ अभयारण्य के संयुक्त वन क्षेत्र में एक नया हाथी अभयारण्य विकसित किया जाएगा. इस प्रोजेक्ट को भारत सरकार से सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है. अब राज्य सरकार को बाकी के इंतजाम करने हैं. यूपी के मुख्य वन्यजीव वार्डन संजय सिंह ने कहा कि इस हाथी अभ्यारण्य को तराई हाथी रिजर्व (टीईआर) के रूप में जाना जाएगा. तराई हाथी रिजर्व बनाने के पीछ सरकार का उद्देश्य जंगली हाथियों, उनके आवासों और गलियारों की रक्षा करना है. इसके अलावा तराई हाथी रिजर्व बनने से हाथियों और इंसानों के बीच के संघर्ष को कम करने में भी मदद मिलेगी, और किसी भी दुर्घटना पर समय पर मुआवजा भी मिल सकेगा. इसके बनने से पीलीभीत, लखीमपुर खीरी के भारत-नेपाल क्षेत्रों में रहने वाले किसानों और ग्रामीणों की रक्षा होगी.
हाथी रिजर्व पर लागू होंगे टाइगर रिजर्व के कानून
उन्होंने आगे कहा कि तराई हाथी रिजर्व के लिए हमें अलग से कोई कानून बनाने की जरूरत नहीं होगी क्योंकि यहां वहीं नियम लागू होंगे तो टाइगर रिजर्व के संबंध में लागू हैं. टीईआर का निर्माण 3 हजार वर्ग किलोमीटर में होगा. सिंह ने कहा कि 2020 के अनुमान के अनुसार डीचीआर में फिलहाल 149 हाथी है, जिनमें नर, मादा व बछड़ों सहित कुल 25 शिविर पचीडर्म हैं. दुधवा पार्क प्रशासन इस प्रस्ताव को केंद्र की मंजूरी मिलने से खासा उत्साहित है.
3 हजार वर्ग किलोमीटर में बनेगा हाथी अभ्यारण्य
पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, बफर जोन और महेशपुर रेंज को मिलाकर करीब 3 हजार वर्ग किलोमीटर में यह तराई हाथी अभ्यारण्य तैयार किया जाएगा, जिसमें जंगली व पालतू दोनों तरह के हाथी निर्बाध रूप से बिना परेशानी के रह सकेंगे. दुधवा नेशनल पार्क के दायरे में फिलहाल 150 जंगली व 25 पालूत हाथी हैं. तराई हाथी रिजर्व बनने के बाद यहां प्रति वर्ष बड़ी संख्या में आने वाले नेपाली हाथियों को बेहतर माहौल मिल सकेगा. यही नहीं हाथियों को इलाज जैसी बेहतर सुविधाएं समय पर मिल सकेंगी और उनकी अच्छे से देखभाल हो सकेगी. इसके अलावा रिजर्व इलाके के सौंदर्यीकरण का काम भी बेहतर ढंग से हो सकेगा. प्रोजेक्ट को केंद्र से सैद्धांतिक तौर पर मंजूरी मिल चुकी है अब राज्य सरकार को इसपर फैसला लेना है. अच्छी बात ये है कि इससे निर्माण से राज्य सरकार पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा क्योंकि सारे संसाधन पहले से ही पार्क में मौजूद हैं.
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