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आगरा विश्वविद्यालय के नये फरमान से परेशान हुये छात्र, पढ़ें पूरी खबर
आगरा विश्वविद्यालय प्रशासन के नये फरमान से छात्रों के लिये मुसीबत बढ़ गई है। नियमित छात्रों के अलावा अन्य छात्रों के समस्या के हल के लिये अब सिर्फ दो घंटे का वक्त दिया जाएगा। इससे बाहर से आनेवाले छात्रों को बड़ी दिक्कत होगी।
आगरा, नितिन उपाध्याय। आगरा का डॉ भीमराव आंबेडकर विश्विद्यालय हमेशा सुर्खियों में रहता है। इस बार एक अलग वजह से सुर्खियों में है। दरअसल यूनिवर्सिटी की तरफ से एक नया फरमान आया है कि नियमित छात्रों को छोड़कर बाकी छात्र-छात्राओं को यूनिवर्सिटी कैंपस में प्रवेश नहीं मिलेगा। यूनिवर्सिटी के बाहर ही अब उनकी समस्या सुनी जाएगी वह भी दोपहर दो से चार बजे।
ऐसे में दूर दूर से विश्वविद्यालय में डिग्री, मार्कशीट, सत्यापन और अन्य जानकारी के लिये दूर दूर से आने वाले छात्र छात्राओं की पीड़ा सुनने के लिए अब यूनिवर्सिटी के पास केवल दो घंटे ही हैं। वो भी दोपहर के बाद दो से लेकर चार बजे तक।
विश्वविद्यालय के प्रवक्ता गिरिजा शंकर शर्मा का इसको लेकर कहना है कि ये कोई फरमान नहीं है बल्कि छात्रों के हित को देखते हुए एक नई व्यवस्था एक महीने के लिए प्रयोग में लाये हैं जिसमें यूनिवर्सिटी के बाहर ही छात्रों को एक निर्धारित प्रोफार्मा मिलेगा, जिसमें वह अपनी समस्या दर्ज कराएंगे औऱ शिकायत निवारण समिति उस समस्या को दूर करेगी।
वहीं छात्र नेताओं का कहना है कि ये कुलपति अरविंद दीक्षित के तानाशाही रवैये की वजह से ये सब हो रहा है। छात्रों से यूनिवर्सिटी का अस्तित्व है, अगर वहीं नहीं आएंगे, तो ऐसे शिक्षण संस्थान का क्या मतलब रह जाता है।
ऐसे में एबीवीपी छोड़कर समाजवादी छात्र सभा एनएसयूआई और अन्य छात्र संगठन इस नए फरमान को लेकर विरोध प्रदर्शन की बात कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर पूरे दिन में जब छात्रों की समस्या दूर नहीं हो रही है और महीनों भटकना पड़ रहा है तो दो घंटे में क्या भला होगा।
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प्रशांत कुमार मिश्र, राजनीतिक विश्लेषक
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