Parliament Building Inauguration: देश का नया संसद भवन बनकर तैयारी हो गया हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने आज 28 मई को इसका उद्घाटन किया. नया संसद बेहद भव्य और आधुनिक सुविधाओं से लेस है. लोकतंत्र के इस मंदिर की खूबसूरती विश्व विख्यात कालीन नगरी भदोही (Bhadohi) में बनी रंग बिरंगी कालीन भी चार चांद लगाने को तैयार हैं. यहां की परंपरागत विरासत मानी जाने वाली हैंड नॉटेड कार्पेट को सैकड़ों मजदूरों ने अपने हाथों से बनाया है. मुगल काल से चली आ रही हैंड नॉटेड कालीन अब सेंट्रल विस्टा में भी अपनी खूबसूरती का डंका बजा रही है.
नए भवन में लगने वाले ढेरो साजों सामानों को चुन चुन कर पूरे भारत से मंगा कर लगवाया है. वहीं भदोही की विश्वप्रसिद्ध कालीन भी नई संसद की गरिमा को बढ़ाएगी. कालीन निर्यातक संतोष गुप्ता और युवा कालीन कारोबारी नेहा राय ने कहा कि हमें इस बात की बहुत खुशी है कि हमारे जनपद की कालीन प्रधानमंत्री कार्यालय समेत पूरे संसद भवन में लगाई गई है. उन्होंने कहा कि हाथों से बनी कालीन की देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी खासी डिमांड है, लेकिन सेंट्रल विस्टा में लगने के बाद यहां की कालीन को एक नई पहचान मिलेगी. इससे आने वाले समय में यहां का रोजगार भी बढ़ेगा.
भदोही की कालीन से लगेंगे चार चांद
कालीन निर्यातक नेहा राय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा उद्घाटन के बाद यहां की कालीन की गुणवत्ता और सुंदरता की सराहना से हम सभी अपने को गौरवान्वित महसूस कर रहे है. सेंट्रल विस्टा में कालीन के लगने से हम सभी के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि तो है ही और इस ऐतिहासिक क्षण में जुड़ने से हम लोग बहुत गर्व महसूस कर रहे है.
जानकारी अनुसार सेंट्रल विस्टा में लगभग 5281 स्क्वॉयर यार्ड एरिया कवर करने के लिए 11x8 साइज के लगभग 301 पीस रंग बिरंगी और मखमली कालीन को लगाया गया है जिसकी अनुमानित कीमत करोड़ों में है. कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (CEPC) के प्रशासनिक समिति के पूर्व सदस्य और कालीन कारोबारी संजय गुप्ता ने कहा, भदोही का अपना एक कल्चर रहा है और मुगलों के जमाने से यहां की अलग परंपरा है. भारत में पहले विदेशी सामानों को लगाया जाता था लेकिन मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद मेक इन इंडिया के कॉन्सेप्ट के नारे के तहत ही स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए ही सेंट्रल विस्टा में अपने गांव अपने देश की कालीन लगाई गई है जो हमारे लिए गर्व की बात है.
2021 में दिया गया था कालीन बनाने का ऑर्डर
साल 2021 में भदोही जनपद में कालीन बनाने का ऑर्डर दिया गया था. इस दौरान सेंट्रल विस्टा की एक टीम ने कई बेहतरीन डिजाइन को तैयार कर उसे कालीन में उकेरने के लिए यहां की कंपनी को सौंप दिया और जब काम शुरू हुआ तो लगभग 7 महीने के अदंर 6 हजार स्क्वायर यार्ड एरिया को कवर करने के लिए लगभग 3 सौ के ऊपर उच्च क्वॉलिटी के हस्त निर्मित कालीन को मई 2022 में तैयार कर भेज दिया गया था.
भदोही की बनी कालीन को सरकार द्वारा भौगोलिक संकेतक का टैग दिया गया है. जीआई टैग होने की वजह से यहां के कालीनों की एक अलग ही पहचान है. बताया जाता है की सेंट्रल विस्टा के दीवारों और जमीन में बिछी रंग बिरंगी मनमोहक मखमली कालीन के होने से भागम भाग और काम को बोझ के थकावट को दूर करने में नेताओं और अधिकारी कर्मचारीगण के लिए मददगार साबित होगी. अखिल भारतीय कालीन निर्माता संघ (एकमा) के मानद सचिव असलम महबूब ने बताया की सेंट्रल विस्टा में आए देश दुनिया के लोग जब यहां की कालीन को देखेंगे तो भदोही की मार्केटिंग अपने आप बढ़ेगी.
भदोही की कालीन को मिलेगी नई पहचान
भारत में राष्ट्रपति भवन और पूर्व के लोकसभा भवन में भी यहां की कालीन पहले ही बिछाई जा चुकी है और अब इतिहास में दर्ज होने को सेंट्रल विस्टा में लगाई गई है. असलम महबूब ने कहा, हैंड मेड कारपेट की ब्रांडिंग कम होने की वजह पहले की अपेक्षा हाल फिलहाल काम में कमी है क्योंकि मशीन में की ब्रांडिंग दुनिया में अधिक होने की वजह से हस्त निर्मित कालीन कम बिकता है, लेकिन सेंट्रल विस्टा लगने के बाद इसमें इज़ाफा होने के पूरे चांस है.
इस आलीशान और नक्काशियों से भरपूर इस भवन को आने वाले समय में ऐतिहासिक धरोहर के रूप में जाना जाएगा. हालांकि इस बाबत जिस कंपनी से सेंट्रल विस्टा के लिए कालीन गई है उन्होंने कैमरे पर बात करने से साफ मना कर दिया है.