Sengol In New Parliament: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने नए संसद के उद्घाटन में सेंगोल की मौजूदगी को लेकर सबसे अलग प्रतिक्रिया दी है. अखिलेश ने सेंगोल का साल 2024 के लोकसभा चुनाव से खास कनेक्शन बताया है. अखिलेश यादव ने दावा किया कि अगले साल लोकसभा चुनाव में सत्ता परिवर्तन हो जाएगा.


पूर्व सीएम ने ट्वीट किया- सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण (एक-हाथ से दूसरे हाथ में जाने) का प्रतीक है… लगता है भाजपा ने मान लिया है कि अब सत्ता सौंपने का समय आ गया है.



स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी किया ट्वीट
अखिलेश के अलावा सपा नेता और पूर्व काबीना मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी सेंगोल को लेकर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने आरोप लगाया है कि बीजेपी , लोकतंत्र से हटकर राजतंत्र की ओर जा रही है. सपा नेता ने लिखा-सेंगोल राजदंड, राजतंत्र का प्रतीक था. आज देश में लोकतंत्र है, लोकतंत्र में राजतंत्र के प्रतीक सेंगोल का क्या काम?'


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सपा नेता ने लिखा- 'सेंगोल के प्रति भाजपा सरकार की दीवानगी इस बात का प्रमाण है कि इसको लोकतंत्र में विश्वास नहीं है इसलिए भाजपा लोकतंत्र से हटकर राजतंत्र के रास्ते पर जा रही है जो लोकतंत्र के लिये खतरे की घंटी है.'


क्या है सेंगोल?
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने अंग्रेजों से सत्ता के हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर ‘सेंगोल’ प्राप्त किया था. ‘सेंगोल’ का इस्तेमाल 14 अगस्त, 1947 को अंग्रेजों से भारतीय हाथों में सत्ता हस्तांतरित करने के लिए किया गया था और इसे तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने राजेंद्र प्रसाद और कई अन्य लोगों की उपस्थिति में स्वीकार किया था. राजेंद्र प्रसाद बाद में देश के पहले राष्ट्रपति बने थे.


‘सेंगोल’ शब्द तमिल शब्द “सेम्मई” से लिया गया है, जिसका अर्थ है “नीतिपरायणता”. ‘न्याय’ के प्रेक्षक के रूप में, अपनी अटल दृष्टि के साथ देखते हुए हाथ से उत्कीर्ण नंदी ‘सेंगोल’ के शीर्ष पर विराजमान हैं. ‘सेंगोल’ को ग्रहण करने वाले व्यक्ति को न्यायपूर्ण और निष्पक्ष रूप से शासन करने का ‘आदेश’ (तमिल में‘आणई’) होता है.