Parliament Building Inauguration: देश के नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव के सुर अब बदल गए हैं. पहले विपक्षी दलों के विरोध को गलत बताने वाले सपा नेता ने अब इसे लेकर केन्द्र सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि विपक्ष की मांग एकदम सही है. क्योंकि संंसद का मतलब राष्ट्रपति, राज्यसभा और लोकसभा से होता है. ऐसे में विधानमंडल का प्रधान राष्ट्रपति होता है. इसलिए संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति को ही करना चाहिए.
सपा नेता राम गोपाल यादव ने कहा कि 'विपक्ष सही कह रहा है, क्योंकि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 79 में ये लिखा है कि संसद का मतलब राष्ट्रपति, लोकसभा और राज्यसभा होता है. राष्ट्रपति विधानमंडल का प्रधान होता है, वो प्रधानमंत्री से ऊपर होता है. राष्ट्रपति का पद जिसके बिना संसद की परिभाषा ही अधूरी है अगर उसके द्वारा संसद का उद्घाटन नहीं होगा या वो उद्घाटन में आमंत्रित भी नहीं होगें तो ये गलत है और ये गलत परंपरा की शुरुआत है. संसद का उद्घाटन तो राष्ट्रपति को ही करना चाहिए."
अपने बयान से पलटे राम गोपाल यादव
राम गोपाल यादव ने कहा, "नियमों के मुताबिक अगर उद्घाटन करने वाला कोई और हो तो वहां पर राष्ट्रपति नहीं जा सकते हैं, प्रोटोकॉल यही कहता है. जहां राष्ट्रपति हों वहां राष्ट्रपति ही मुख्य अतिथि हों और संसद का तो उद्घाटन ही राष्ट्रपति को करना चाहिए. संसद केवल राज्यसभा या लोकसभा नहीं होती. राष्ट्रपति उसमें नंबर एक पर है. ये हो सकता था कि राष्ट्रपति उद्घाटन करते और प्रधानमंत्री विशिष्ट अतिथि के तौर पर शामिल हो जाते. नाम तो उनका तब भी लिख ही जाता. संसदीय शासन प्रणाली में पीएम जो चाहे वो कर सकते हैं तो कर लें. ये गलत है तो इसका विरोध किया जा रहा है.
सपा नेता ने कहा कि एक तरफ तो आप ये कहते हैं कि "हमने आदिवासी महिला को राष्ट्रपति बनाया और वहीं दूसरी तरफ आप उनसे जो असली, पूरा देश और दुनिया देखी उस इमारत का उद्घाटन करने नहीं देना चाहते. ये अच्छा नहीं है इसलिए विपक्ष का जो फैसला है वो एकदम सही हैं. मैं उनके साथ पूरी तरह सहमत हूं."
इससे पहले राम गोपाल यादव ने विपक्ष के विरोध को गलत बताया था. उन्होंने कहा था कि विपक्ष को इस कार्यक्रम में शामिल होना चाहिए. पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा संसद भवन के उद्घाटन पर एतराज नहीं होना चाहिए. आपको बता दें 19 विपक्षी दलों ने संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने का फैसला लिया है.
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