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Bhadohi News: 900 कारीगर, 10 लाख घंटे और 60 करोड़ गांठे, कारीगरों ने ऐसे तैयार की नई संसद की मखमली कालीन

New Parliament Inauguration: नए संसद के दोनों सदनों राज्यसभा और लोकसभा को भदोही की विश्व प्रसिद्ध कालीन से सजाया गया है. इन कालीनों को बनाने में 900 कारीगरों ने 10 लाख घंटे काम किया.

New Parliament Building: देश के नए भव्य संसद भवन का रविवार 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने उद्घाटन किया. इसके बाद संसद की जो तस्वीरें सामने आईं, वो बेहद भव्य थीं. इस संसद भवन ने देशभर के चुनिंदा सामानों को लगाया गया है. यहां महाराष्ट्र के जंगलों की सागौन लकड़ी से दीवारों और कुर्सी टेबल को सजाया गया तो वहीं यूपी के भदोही (Bhadohi) की मखमली कालीन इसकी सुंदरता में चार चांद लगा रही है. पीएम मोदी ने खुद अपने भाषण में भी इसका जिक्र किया है.

नए संसद के दोनों सदनों राज्यसभा और लोकसभा को भदोही की विश्व प्रसिद्ध कालीन से सजाया गया है. इन कालीनों को बनाने में करीब 900 कारीगर पिछले दो सालों से दिन रात मेहनत कर रहे हैं. जिन्होंने करीब दस लाख घंटों तक इन कालीनों की बुनाई की. ये कालीन दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा के 35 हजार वर्ग फुट क्षेत्र में लगाई गई है. इन कालीनों का खासियत है ये लोकसभा और राज्यसभा दोनों की थीम के आधार पर तैयार की गईं हैं. 

सौ साल पुरानी कंपनी को दी गई थी जिम्मेदारी

नए संसद भवन के लिए कालीन बनाने की जिम्मेदारी सौ सालों से भी ज्यादा पुरानी कंपनी ओबीटी कार्पेट को दिया गया था. नए संसद भवन में लोकसभा को राष्ट्रीय पक्षी मोर की थीम पर तैयार किया गया है. इसी वजह से यहां पर लगाई गई कालीन भी मोर थीम पर ही बुनी गई है. जबकि राज्यसभा को राष्ट्रीय फूल कमल की थीम पर बनाया गया है जिसकी वजह से राज्यसभा में लगाई गई लाल रंग की कालीन कमल के फूल पर आधारित हैं.  

60 करोड़ से ज्यादा गांठें बुनी गईं

ओबीटी कार्पेट के अध्यक्ष रूद्र चटर्जी ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि बुनकरों ने नई संसद के लिए 150 से ज्यादा से कालीनों का निर्माण किया है. इन कालीनों की अर्ध-गोलाकार में सिलाई की गई, जो बेहद कठिन काम था. बुनकरों को 17,500 वर्ग फुट में फैले हर सदन के लिए कालीन की बुनाई करनी थी. इसे इस तरह से सिला जाना था कि कालीनों पर उकेरा गया डिजाइन भी खराब न हो. कालीनों के अलग-अलग टुकड़ों को जोड़कर तैयार करना चुनौतीपूर्ण काम था. 

इन कालीनों को बनाने के लिए प्रति वर्ग इंच पर 120 गांठों को बुना गया. इस हिसाब से कुल 60 करोड़ से ज्यादा गांठें बुनीं गईं. ओबीटी कंपनी को इस काम का ठेका कोरोना महामारी के बीच 2020 में मिला था. जिसके बाद सिंतबर 2021 में कालीनों की बुनाई शुरू की गई. मई 2022 तक ये सभी कालीनें बनकर तैयारी हो गईं. जिसके बाद नवंबर 2022 में इसे बिछाने का काम शुरू किया गया.  

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