Varanasi News: वाराणसी जनपद में आम दिनों के साथ-साथ सियासी दौर में भी लोगों के बीच इस बात की खूब चर्चा रहती है कि क्या गंगा और वरुणा नदी का पानी साफ हुआ है या नहीं. इसमें कोई दो राय नहीं की गंगा स्वच्छता के नाम पर सरकारी योजनाओं के माध्यम से करोड़ों रुपए भेजे गए लेकिन आज भी यह कहने की हिम्मत कोई नहीं जुटा सका की गंगा का पानी अब पूरी तरह स्वच्छ हो चुका है और उसमें किसी भी प्रकार का दूषित पानी नहीं डाला जाता है. 


इसी बीच नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने गंगा की सहायक नदी अस्सी और वरुणा के अतिक्रमण और उनके प्रदूषण संबंधित विषयों को लेकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की, जिसमें दिनांक 18 नवंबर को वाराणसी के जिला अधिकारी भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से NGT के आदेशानुसार उपस्थित थे. सुनवाई के दौरान एनजीटी का रुख बेहद सख्त नजर आया.


'बोर्ड लगवा दें की गंगा का पानी नहाने और पीने योग्य नहीं'
याचिकाकर्ता सौरभ तिवारी ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत के दौरान बताया कि, सुनवाई के दौरान एनजीटी ने वाराणसी के जिला अधिकारी से पूछा कि आपने अपने कार्यकाल के 2 साल के दौरान क्या किया है. मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए भी पूछा कि क्या आप गंगा का पानी पी सकते हैं. क्यों नहीं आप बोर्ड लगवा देते हैं की गंगा का पानी पीने योग्य, नहाने योग्य नहीं है. इसके अलावा कड़ा रुख अपनाते हुए यह भी कहा कि आप हेल्पलेस महसूस मत करिए. अपने पावर का इस्तेमाल करिए. सरकार के वकील को कहा कि आप ऐसे लोगों का बचाव कर रहे हैं जिन्हें डिफेंड नहीं किया जा सकता. जनहित से जुड़े इस मामले में अब 13 दिसंबर को अगली सुनवाई होगी.


इस मामले को लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने किया ट्वीट
अखिलेश यादव ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर इस मामले को लेकर लिखा है कि, जिन्होंने मां गंगा से झूठ बोला उनके वादों पर न जाए. नमामि गंगे व स्वच्छ गंगा के नाम पर भाजपा सरकार में पिछले 10 वर्षों में अरबो रुपए के फंड निकाले तो गए पर वह फंड मां गंगा के घाट तक नहीं पहुंचे. फाइलों में गंगा जी के स्वच्छ अविरल निर्मल होने के दावों का सच यह है कि वाराणसी में मां गंगा इतनी दूषित हो चुकी है कि पीने योग्य तो छोड़िए यह जल स्नान के लायक भी नहीं है.


इसी संदर्भ में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने देश के प्रधान संसदीय क्षेत्र वाराणसी के जिला अधिकारी महोदय से यह पूछ कर सारा सच स्पष्ट कर दिया है कि क्या आप गंगाजल पी सकते हैं. साथ ही नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की यह सलाह भी डबल इंजन सरकार के लिए चुल्लू भर पानी में डूबने के बराबर है कि उनके राज में तथाकथित क्योटो अर्थात काशी के डीएम साहब अपनी पावर का इस्तेमाल करते हुए गंगा किनारे चेतावनी भरा बोर्ड लगवा दे कि यह गंगाजल पीने नहाने योग्य नहीं है.


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