Khokhari River Pollution News: उत्तर प्रदेश 31 नदियों का घर है और ये नदियां प्रदेश की जीवन रेखा भी हैं. इनके किनारे पर जन्म से लेकर अंतिम संस्कार तक होते हैं. इन नदियों में से ज्यादातर नदियों की स्थिति दयनीय है. इस में से एक है यूपी की खोखरी नदी और खोखरी नदी पर गंदगी का अंबार लग गया है. खोखरी नदी के प्रदूषण से निपटने में देरी पर एनजीटी ने शामली और सहारनपुर के जिलाधिकारियों को तलब किया है. 


खोखरी नदी प्रदूषण मामले में शामली और सहारनपुर के जिलाधिकारी रिपोर्ट सबमिट करने में दे कर रहे हैं. ऐसे में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) निराशा व्यक्त की है. इसको लेकर 27 अगस्त, 2024 को कोर्ट ने एक आदेश जारी किया. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अगली सुनवाई पर शामली और सहारनपुर जिलाधिरारियों को प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित होना है. इस मामले में अगली सुनवाई छह दिसंबर 2024 को होनी है.


एनएमसीजी ने जवाब दाखिल करने के लिए मांगा समय 


इस मामले में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने निर्देश प्राप्त करने और हलफनामे के माध्यम से अपना जवाब दाखिल करने के लिए और थोड़ा और वक्त मांगा है. अमित कुमार ने अपने आवेदन में खोखरी नदी में बढ़ते प्रदूषण को लेकर चिंता व्यक्त की थी. अमित कुमार के अनुसार खोखरी नदी की स्थिति सबसे ज्यादा खराब उत्तर प्रदेश के शामली और सहारनपुर जिले में हैं.


यमुना नदी की ही सहायक नदी है खोखरी नदी 


खोखरी नदी यमुना नदी की ही एक सहायक नदी है.  फिलहाल इस नदी की स्थिति दयनीय है. गंदगी का अंबार लगा हुआ है. ये हम नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने अपने रिपोर्ट में जानकारी दी है. उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 29 अप्रैल, 2024 को एक रिपोर्ट सबमिट की. इस रिपोर्ट में खोखरी नदी की स्थिति के बारे में जिक्र किया गया था. उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक खोखरी नदी की स्थिति दयनीय है और इसको एक बार फिर से बहाल करने के लिए कदम उठाने की जरूरत है. 


उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट की एनजीटी ने की समीक्षा


उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से सबमिट रिपोर्ट की एनजीटी ने 10 मई, 2024 को समीक्षा की. इस दौरान एनजीटी ने पाया कि लखनोहती के पास नदी में जलभराव, आसपास के ग्रामीण इलाके से दूषित पानी छोड़े जाने के साथ ठोस कचरे की डंपिंग दिखाई दे रही है. रिपोर्ट में यह भी पाया गया है कि नदी के पास अतिक्रमण हुआ है. यह अतिक्रमण सहारनपुर के साकेरपुर के पास हुआ है. यहीं नहीं बल्कि, चौसाना और शामली में नदी के किनारे आवासीय मकानों की तरफ से अतिक्रमण किया गया है. 


सूखी नदी के खंडो पर अतिक्रमण की बात आई सामने 


शामली में केमलपुर के पास सूखी नदी के खंडों पर भी अतिक्रमण की बात सामने आई है. शामली में केरटू के पास वनस्पतियों के साथ सूखी नदी का तल साफ दिखाई दे रहा है. इस मामले को लेकर कोर्ट ने कहा कि डेढ़ दशक पहले नदी बारहमास बहती थी. इसका पानी ग्रामीणों और कृषि से जुड़ी आवश्यकताओं को पूरा करता था, लेकिन अब प्रवाह थम गया है. 


इस बारे में 21 अगस्त 2024 को उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने शामली, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर के लिए सिंचाई विभाग की तरफ से तैयार की गई बहाली की योजना भी प्रस्तुत की है. हालांकि इस योजना को मंजूरी दी गई है या नहीं, इसका रिकॉर्ड में कोई सबूत नहीं है. कोर्ट ने कहा कि रिपोर्ट को देखते हुए इस बात की जानकारी होती है कि योजना शामली और सहारनपुर के जिलाधिकारियों को भेजी गई थी, लेकिन योजना पर उनकी कार्रवाई का कोई भी रिकॉर्ड नहीं है. 


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