नई दिल्ली: अमेठी की रहने वाली मां-बेटी के लखनऊ में लोकभवन के सामने आत्मदाह करने के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने उत्तर प्रदेश सरकार और राज्य के पुलिस महानिदेशक को नोटिस भेजा है. आयोग ने नोटिस जारी करते हुए कहा है कि उसने पाया कि पीड़ितों ने जो कदम उठाया उसे उचित नहीं ठहराया जा सकता, लेकिन उनकी शिकायत पर उचित कार्रवाई की गई होती तो ऐसी नौबत नहीं आती. यह ''अधिकारियों के लापरवाह रवैये'' की ओर संकेत करता है.


एनएचआरसी ने बयान में कहा कि, ''राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मीडिया में आई खबरों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव और डीजीपी को नोटिस जारी किए हैं. खबरों में बताया गया था कि अमेठी की रहने वाली मां-बेटी ने यौन उत्पीड़न की उनकी शिकायत पर अधिकारियों के कथित तौर पर र्कारवाई नहीं करने को लेकर 17 जुलाई को लखनऊ में लोकभवन के सामने आत्मदाह करने की कोशिश की.''


आयोग ने कहा कि इस घटना में कथित तौर पर 90 प्रतिशत झुलस चुकी महिला की मौत हो गई, जबकि 15 प्रतिशत झुलस चुकी उसकी बेटी का अस्पताल में इलाज चल रहा है. बयान में कहा गया है कि आयोग ने एक विस्तृत रिपोर्ट मांगते हुए जवाब सौंपने के लिए चार सप्ताह का वक्त दिया है. रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया जाए कि दोषी के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई और पीड़िता की तरफ से कथित तौर पर दर्ज कराई गई शिकायत पर क्या कार्रवाई की गई है.


आयोग ने कहा कि रिपोर्ट में घायल महिला को मुहैया किए जा रहे इलाज, उसके स्वास्थ्य की स्थिति और अधिकारियों की तरफ से घायल महिला और पीड़ित परिवार को दी गई किसी राहत का जिक्र जरूर किया जाए. आयोग ने कहा कि, ''यह मानवाधिकार हनन का एक गंभीर मुद्दा है. आगर समय पर कार्रवाई की जाती तो महिलाएं यह कठोर कदम उठाने को मजबूर नहीं होतीं'' मीडिया में आई खबरों के मुताबिक पीड़िता के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि पुलिसकर्मियों और सिविल हॉस्पिटल के चिकित्सकों ने उस वक्त बदसलूकी की, जब मृतक महिला का बेटा अस्पताल गया था. बयान में कहा गया है कि इस सिलसिले में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है.


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