UP Heritage: उत्तर प्रदेश को हेरिटेज टूरिज्म के रूप में इंटरनेशनल डेस्टिनेशन बनाने की कवायद जारी है. इसी कड़ी में नौ महलों और हवेलियों को हेरिटेज होटल के रूप में विकसित किया जाएगा. निजी निवेश से विरासत संपत्तियों को मूल गौरव के साथ पुनर्स्थापित करने की दिशा में योगी सरकार ने पहल की है. सरकार की पहल से पर्यटन के क्षेत्र में रोजगार का अवसर पैदा होगा. योगी सरकार नौ महलों और हवेलियों में पर्यटकों के लिए फाइव स्टार वाले होटल खोलने की तैयारी में है. पर्यटन विभाग की ओर से लखनऊ के छत्तर मंजिल, मीरजापुर का चुनार का किला, झांसी का बरुआ सागर किला, लखनऊ की कोठी गुलिस्ता-ए-इरम, कोठी दर्शन विलास और कोठी रोशन, मथुरा के बरसाना जल महल, कानपुर का शुक्ला तालाब और बिठूर के टिकैतराय बारादरी को हेरिटेज होटल का रूप देने की तैयारी है.


नौ महल और हवेली बनेंगे हेरिटेज होटल


सरकार ने तीन कैटेगरी की न्यूनतम निवेश धनराशि 180 करोड़ रुपये तय किया है. पर्यटन विभाग विरासत संपत्तियों में वेलनेस सेंटर, हेरिटेज होटल, माइस एक्टिविटी सेंटर, रिजॉर्ट, म्यूजियम, हेरिटेज रेस्टोरेंट, बुटिक रेस्टोरेंट, बैंक्वेट हॉल, वेडिंग टूरिज्म, एडवेंचर टूरिज्म, होम स्टे, थीमैटिक पार्क और अन्य टूरिज्म एवं हॉस्पिटैलिटी यूनिट का निर्माण करेगा. प्रस्तावित योजना को टूरिज्म इंडस्ट्री के दिग्गजों की ओर से भी हाथों हाथ लिया जा रहा है.


टूरिज्म इंडस्ट्री के दिग्गजों ने दिखाई रुचि


निवेश के लिए लीला होटल्स, नीमराना होटल्स, इंडियन होटल्स कंपनी (ताज होटल्स), महिन्द्रा होटल्स एंड रिजॉर्ट, ओबेरॉय होटल्स, दि एमआरएस ग्रुप एंड रिजॉर्ट, ललित होटल्स, हयात रिजेंसी, सरोवर होटल्स एंड रिजॉर्ट्स, एकोर ग्रुप, टीएचएफ होटल्स, लैंजेर होटल्स, रॉयल आर्किड होटल्स, रमाडा होटल, क्लार्क होटल, ब्रिजरमा ग्रुप्स ऑफ होटल्स ने इच्छा जताई है. कुछ माह पहले लगभग 41 हेरिटेज उद्यमियों ने पर्यटन विभाग की मीटिंग में विरासत भवनों के प्रति रुचि दिखाई थी.


पर्यटन विभाग की ओर से भी पांच राज्यों, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, ओडिशा और राजस्थान के विरासत भवनों का अध्ययन किया गया है. प्रमुख सचिव एवं महानिदेशक पर्यटन मुकेश मेश्राम का कहना है कि परियोजना के लिए टेंडर का चयन गुणवत्ता और लागत प्रणाली (क्वालिटी एंड कॉस्ट बेस्ड सेलेक्शन) को आधार बनाकर किया जाएगा. धरोहर भवनों को संरक्षित करने का मापदंड और दायित्व भी तय किये गये हैं.


पुरातत्विक भवन के मूल स्वरूप से छेड़छाड़ नहीं करने, भवन का इस्तेमाल पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए किये जाने, स्थानीय संस्कृति, खान-पान, कला, पोशाक, व्यंजन और सांस्कृतिक विधाओं का प्रदर्शन, सीएसआर के तहत चयनित विकासकर्ता की तरफ से निकटवर्ती ग्रामों को अंगीकृत करते हुए विकसित किया जाएगा. योजना में 25 प्रतिशत स्थानीय नागरिकों को रोजगार प्रदान किया जाना भी शामिल है. 


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