नई दिल्ली, एबीपी गंगा। निर्भया के गुनहगारों के कानूनी दांव-पेच अब भी जारी हैं। मुकेश और विनय की अलग-अलग अर्ज़ियों के बाद अब पवन ने नया दांव चला है। पवन ने दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट में अर्जी दाखिल कर अपने साथ जेल में हुई मारपीट की घटना का हवाला दिया है। पवन ने कहा है कि कोर्ट पुलिस को FIR दर्ज कर मामले की जांच का आदेश दे। गौरतलब है कि गैंगरेप और हत्या मामले के चारों दोषियों के कानूनी और संवैधानिक विकल्प खत्म हो जाने के बाद दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने उन्हें 20 मार्च की सुबह 5:30 बजे फांसी देने का डेथ वारंट जारी किया हुआ है।


उससे पहले दोषी अलग अलग तरीके अपनाकर फांसी से बचने की कोशिश कर रहे हैं। मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर फिर से क्यूरेटिव याचिका दाखिल करने की इजाजत मांगी है। वहीं विनय ने उपराज्यपाल को अर्जी भेजकर सीआरपीसी की धारा 432 और 433 के तहत अपनी सजा को उम्र कैद में बदलने की दरख्वास्त की है। पवन की तरफ से कड़कड़डूमा कोर्ट में दाखिल अर्जी में पिछले साल 26 और 28 जुलाई को उसके साथ मंडावली जेल में हुई मारपीट की कथित घटना का हवाला दिया गया है। पवन का आरोप है कि दिल्ली पुलिस के दो सिपाहियों ने उसके साथ मारपीट की थी, उसका सिर फोड़ दिया गया था। उसे 14 टांके लगे थे लेकिन पुलिस ने घटना की FIR दर्ज नहीं की। उल्टे बाद में उसे तिहाड़ जेल ट्रांसफर कर दिया गया।


दरअसल, मंडावली जेल का इलाका दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में आता है, इसलिए, पवन ने वहां यह अर्जी दाखिल की है। सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत दाखिल की गई इस अर्जी में यह मांग की गई है कि कोर्ट हर्ष विहार थाने के प्रभारी को मामले में FIR दर्ज करने का आदेश दे। पवन की मांग है कि आईपीसी की धारा 308 (हत्या का प्रयास), 323 (मारपीट), 506 (जान से मारने की धमकी) और 34 (एक ही उद्देश्य से अलग-अलग लोगों का किसी अपराध को अंजाम देना) के तहत FIR दर्ज हो। साफ है कि पवन की कोशिश यह है कि अगर इस मामले में FIR दर्ज होती है, तो जांच लंबी चलेगी और उस जांच के लंबित रहते उसे फांसी नहीं दी जा सकेगी। पवन की अर्जी पर कड़कड़डूमा कोर्ट के जज कल विचार करेंगे।


पवन से पहले मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट में जो अर्जी दाखिल की थी, उसकी सुनवाई की तारीख 16 मार्च तय की गई है जबकि, उपराज्यपाल ने विनय की अर्जी पर अभी कोई फैसला नहीं लिया है। सीआरपीसी की धारा 432, 433 के तहत भेजी गई अर्जी पर फैसला लेने से पहले उपराज्यपाल को फांसी की सजा देने वाले जज से रिपोर्ट लेनी होती है। ऐसे में पवन, मुकेश या विनय, अगर किसी की भी अर्जी आगे सुनवाई के लिए लंबित रख ली जाती है, तो उसे फांसी नहीं दी जा सकेगी। एक अपराध के दोषियों को एक साथ ही फांसी देने की मौजूदा व्यवस्था के तहत जेल प्रशासन के लिए बाकी दोषियों को फांसी दे पाना भी मुश्किल हो जाएगा। फांसी की तारीख तय होने के बाद से अब तक अक्षय ने कहीं भी कोई अर्जी दाखिल नहीं की है।