नई दिल्‍ली,एबीपी गंगा। देश की बेटी निर्भया को आखिरकार 7 साल, 3 महीने और 4 दिन बाद इंसाफ मिल ही गया। निर्भया के दोषियों की फांसी के साथ ये मामला हमेशा के लिए बंद हो जाएगा। हालांकि इसे लंबे दौर तक याद रखा जाएगा। इस पूरे घटनाक्रम की शुरुआत 16 दिसंबर 2012 की रात को शुरू हुआ था, जब निर्भया अपने एक दोस्‍त के साथ साकेत स्थित सेलेक्ट सिटी मॉल में 'लाइफ ऑफ पाई' मूवी देखकर वापस आ रही थी। घर लौटने के लिए उन्होंने करीब रात 8 बजे ऑटो लिया। लेकिन उन्‍हें उस भयानक पल का अंदाजा नहीं था जो उनका इंतजार कर रहा था।


6 दिसंबर, 2012-अपने मित्र के साथ जा रही एक पैरामेडिकल छात्रा के साथ एक निजी बस में छह लोगों ने बर्बरतापूर्वक सामूहिक दुष्कर्म करने और क्रूरतापूर्ण हमला करने के बाद उसे घायल हालत में उसके दोस्त के साथ चलती बस से बाहर फेंक दिया । पीड़ितों को सफदरगंज अस्पताल में भर्ती कराया गया।


7 दिसंबर-आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए देशभर में भारी विरोध प्रदर्शन शुरु हो गए। पुलिस ने चारों आरोपियों, बस चालक राम सिंह, उसके भाई मुकेश, विनय शर्मा और पवन गुप्ता की पहचान की।


21 दिसंबर-दिल्ली के आनंद विहार बस अड्डे से नाबालिग आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया। पीड़िता के दोस्त ने आरोपियों में से एक मुकेश की पहचान की। छठे आरोपी अक्षय कुमार सिंह को पकड़ने के लिए हरियाणा और बिहार में छापेमारी की गई।


29 दिसंबर- पीड़िता ने गंभीर चोटों और शारीरिक समस्याओं से जूझते हुए सुबह 2 बजकर 15 मिनट पर दम तोड़ दिया। पुलिस ने प्राथमिकी में हत्या की धाराएं जोड़ दीं।


2013


तीन जनवरी, 2013: पुलिस ने पांच वयस्क आरोपियों के खिलाफ हत्या, सामूहिक बलात्कार, हत्या का प्रयास, अपहरण, अप्राकृतिक यौनाचार और डकैती की धाराओं में आरोप पत्र दायर किए।


11 मार्च- राम सिंह ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली।


10 सितंबर- अदालत ने मुकेश, विनय, अक्षय और पवन को सामूहिक बलात्कार, अप्राकृतिक यौनाचार और लड़की की हत्या और उसके दोस्त की हत्या के प्रयास सहित 13 अपराधों में दोषी करार दिया।


13 सितंबर-अदालत ने चारों अपराधियों को मौत की सजा सुनाई।


2014


15 मार्च-दो अभियुक्तों मुकेश और पवन की याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने सजा पर रोक लगा दी। बाद में सभी अभियुक्तों की सजा पर रोक लगा दी गई।


2017


पांच मई- सुप्रीम कोर्ट ने चारों दोषियों की मौत की सजा बरकरार रखी। सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया कांड को ''सदमे की सुनामी'' और ‘‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’’ अपराध करार दिया।


2018


चार मई 2018- उच्चतम न्यायालय ने दो अभियुक्तों विनय शर्मा और पवन गुप्ता की पुनर्विचार याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित कर लिया।


9 जुलाई 2018- उच्चतम न्यायालय ने तीनों अभियुक्तों की पुनर्विचार याचिका खारिज की।


2019


फरवरी 2019- पीड़िता के माता-पिता ने चारों दोषियों को मौत की सजा दिये जाने के लिए वारंट जारी करने की खातिर दिल्ली की अदालत का रुख किया।


10 दिसंबर 2019- चौथे अभियुक्त अक्षय ने उच्चतम न्यायालय में अपनी मौत की सजा के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की।


13 दिसंबर 2019 - पीड़िता की मां ने उच्चतम न्यायालय में दोषी की पुनर्विचार याचिका का विरोध किया।


18 दिसंबर: सुप्रीम कोर्ट ने रिव्यू पिटिशन खारिज की


2020


7 जनवरी- दिल्ली की अदालत ने चारों दोषियों को 22 जनवरी को सुबह सात बजे तिहाड़ जेल में फांसी दिये जाने का आदेश जारी किया।


14 जनवरी- सुप्रीम कोर्ट ने दो दोषियों विनय शर्मा (26) और मुकेश कुमार (32) की सुधारात्मक याचिकाओं को खारिज कर दिया। मुकेश कुमार ने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दाखिल की।


7 जनवरी - राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मुकेश की दया याचिका ठुकराई।


2 मार्च- तीन मार्च को होने वाली फांसी पर लगी रोक। पवन की दया याचिका लंबित होने के चलते टाली फांसी


5 मार्चः चौथा डेथ वारंट जारी कर 20 मार्च को फांसी की तारीख तय की।


20 मार्च- चारों दोषियों को सात साल तीन महीने तीन दिन बाद हुई फांसी।