Nithari Kand: निठारी कांड का आरोपी मोनिंदर सिंह पंढेर जेल से हुआ रिहा, कड़ी सुरक्षा के बीच निकला बाहर
Delhi NCR News: निठारी कांड के आरोपी को आज (शुक्रवार) जेल से रिहाई मिल गई. मोनिंद सिंह पंढेर पिछले कई वर्षों से जेल में बंद था. औपचारिकताओं को पूरी करने के बाद जेल प्रशासन ने रिहा कर दिया.
Nithari Serial Killings Case: निठारी हत्याकांड का आरोपी मोनिंदर सिंह पंढेर शुक्रवार को जेल से बाहर आ गया है. पंढेर ग्रेटर नोएडा की लुक्सर जेल में बंद था. लुक्सर जेल अधीक्षक अरुण प्रताप सिंह ने पंढेर को रिहा किए जाने की पुष्टि की थी. उन्होंने पीटीआई-भाषा को बताया था कि पंढेर की रिहाई से संबंधित अदालत का दूसरा आदेश आज प्राप्त हुआ है. औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद दोपहर में जेल प्रशासन ने पंढेर को बाहर निकाल दिया. पत्रकारों के सवाल पर पंढेर ने हाथ जोड़ लिए.
जेल से बाहर आया निठारी हत्याकांड का आरोपी पंढेर
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को 65 वर्षीय पंढेर और घरेलू नौकर सुरेंद्र कोली को 2006 के सनसनीखेज मामले में बरी कर दिया था. निठारी कांड का मुख्य आरोपी कोली अभी गाजियाबाद के डासना जेल में बंद है. सुरेंद्र कोली को 14 वर्षीय लड़की की हत्या के मामले में अदालत से आजीवन कारावास की सजा मिली हुई है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पाया कि जांच में गड़बड़ी हुई और अभियोजन पक्ष अपराध साबित करने में विफल रहा. साक्ष्य संग्रह के बुनियादी नियमों का भी 'बेशर्मी से उल्लंघन' किया गया. नोएडा का कुख्यात निठारी कांड वर्ष 2005 और 2006 के बीच घटित हुआ था. दिसंबर, 2006 में निठारी स्थित एक मकान के पास नाले से आठ मानव कंकाल बरामद किए गए.
#WATCH | Uttar Pradesh | Moninder Singh Pandher walks out of the jail in Greater Noida after being released.
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) October 20, 2023
He was acquitted by Allahabad High Court in connection with 2006 Nithari case. pic.twitter.com/toHmWJZ0J7
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बरी करने का सुनाया था आदेश
मोनिंदर पंढेर मकान का मालिक और कोली नौकर था. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर को बड़ी राहत देते हुए सोमवार को बरी कर दिया. न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति एस एच ए रिजवी की खंडपीठ ने दोनों की अपील पर आदेश पारित किया. हाईकोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष उचित संदेह से परे मामले को साबित करने में नाकाम रहा. निठारी हत्याकांड मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आए फैसले से सीबीआई की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े हुए. पीड़ितों के परिजनों का कहना था कि बच्चों को 17 साल बाद भी इंसाफ नहीं मिला.