UP Politics: दो प्रधानमंत्रियों समेत इन तमाम दिग्गजों का फूलपुर से जुड़ा है नाम, जानिए- ये सीट नीतीश कुमार के लिए क्यों है खास
फूलपुर (Phoolpur) से नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) लड़ने की चर्चा है. इसके पीछे कई वजह है. यहां से देश दो प्रधानमंत्रियों समेत कई दिग्गजों का नाम जुड़ा रहा है.
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UP News: फूलपुर (Phoolpur) के लोग देश को दो प्रधानमंत्री दे चुके हैं, राम मनोहर लोहिया (Ram Manohar Lohia), जनेश्वर मिश्र (Janeshwar Mishra) और कांशीराम (Kanshi Ram) ने भी इस सीट से चुनाव लड़ा है. अब जेडीयू (JDU) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह (Lalan Singh) ने एबीपी न्यूज से एक्सक्लूसिव बातचीत में जैसे ही कहा कि नीतीश कुमार (Nitish Kumar) यूपी के फूलपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ सकते हैं.
राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई. यूपी के इस सीट से नीतीश आखिर क्यों चुनाव लड़ना चाहते हैं, इस बात के कई निहितार्थ निकाले जाने लगे. निहितार्थ निकाले जाने की मजबूत वजहें भी हैं, क्योंकि ओबीसी बहुल ये सीट कई मायनों में खास है और अपने में कई राजनीतिक इतिहास को समेटे हुए है.
क्यों है फूलपुर खास?
सबसे पहले फूलपुर लोकसभा सीट का परिचय कराते हैं. फूलपुर सीट पूर्वांचल में आती है. जोकि बिहार के करीब है और ये एक कुर्मी बहुल क्षेत्र है. फूलपुर के लोग देश के दो प्रधानमंत्री दे चुके हैं. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू इसी सीट से सांसद रहे, वे लगातार तीन बार सांसद रहे और देश के पीएम चुने गए.
इसके बाद 1971 में विश्वनाथ प्रताप सिंह भी फूलपुर सीट से सांसद लोकसभा पहुंचे और आगे चलकर वे देश के प्रधानमंत्री बने. वहीं डॉ. राम मनोहर लोहिया का नाम भी इस सीट से जुड़ा है. खास बात ये है कि 1962 में राम मनोहर लोहिया, जवाहर लाल नेहरू के खिलाफ चुनाव लड़े थे लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.
तमाम दिग्गजों की जुड़ा रहा है नाम
1964 में नेहरू का निधन हो गया, फिर यहां उपचुनाव हुआ. जिसमें उनकी बहन विजय लक्ष्मी पंडित ने चुनाव लड़ा और जनता ने उनको सांसद बनाकर लोकसभा भेजा. 1967 में समाजवादी नेता जनेश्वर मिश्र ने उनके खिलाफ चुनाव लड़ा लेकिन फिर से जनता ने विजय लक्ष्मी पंडित को ही चुना. 1996 में यहां बीएसपी के संस्थापक कांशीराम फूलपुर से चुनाव लड़े, लेकिन वो सपा के जंग बहादुर सिंह पटेल से हार गए. इस तरह इस लोकसभा सीट से तमाम दिग्गजों का नाम जुड़ा है.
1977 में यहां से यूपी के सीएम हेमवती नंदन बहुगुणा की पत्नी कमला बहुगुणा सांसद बनीं. यहां से दो बाहुबली भी संसद पहुंच चुके हैं. बाहुबली नेता अतीक अहमद 2004 में और 2009 में कपिल मुनि करवरिया यहां से सांसद रहे. यूपी बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और डिप्टी केशव प्रसाद मौर्य 2014 में यहां से लोकसभा पहुंच चुके हैं.
फूलपुर ही क्यों?
यूपी में 80 लोकसभा की सीटें हैं, जोकि देश में सबसे ज्यादा हैं. माना जाता है कि संसद का गलियारा यूपी से होकर जाता है. इसलिए पीएम पद के उम्मीदवारों की पहली पसंद यूपी से ही चुनाव लड़ना होता है. इससे हिंदी पट्टी साधने की कोशिश की जाती है. दूसरे फूलपुर एक कुर्मी बाहुल्य सीट है. खुद नीतीश कुमार कुर्मी समाज से आते हैं.
यहां करीब तीन लाख कुर्मी वोटर निर्णायक भूमिका में होते हैं और अब तक आठ सांसद कुर्मी समाज से चुने गए हैं. इस सीट पर बीजेपी की स्थिति कमजोर मानी जाती है. अब तक सिर्फ दो बार चुनाव ही बीजेपी जीत पाई है. साथ ही फूलपुर बिहार के काफी करीब है, इसलिए यहां से पूर्वांचल के साथ-साथ बिहार को साधा जा सकता है.
मोदी नहीं तो 'कौन' का जवाब
पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय वाराणसी भी यहां से नजदीक है. इसलिए नीतीश यहां से पीएम मोदी को सीधी चुनौती देते नजर आएंगे. जनता के बीच दोनों नेताओं के आमने-सामने होने जैसा आभास होता रहेगा. मोदी नहीं तो 'कौन' वाले जुमले में अप्रक्ष रूप से 'कौन' का जवाब भेजने की कोशिश की जाएगी.
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