(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
SC/ST Act की जिस धारा में 7 साल से कम सजा उसमें बिना नोटिस गिरफ्तारी नहीं
हाईकोर्ट (High Court) ने एससी-एसटी एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले को नजीर बनाते हुए कहा कि ऐसे मामले, जिनमें अपराध की सजा 7 साल से कम है, उनमें गिरफ्तारी की जरूरत नहीं है.
High Court Lucknow Bench: एससी-एसटी एक्ट (SC/ST Act) की जिस धारा में 7 साल से कम की सजा है, उसमें बिना नोटिस के गिरफ्तारी नहीं की जा सकती. हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ (High Court Lucknow Bench) ने एससी-एसटी एक्ट में दर्ज मामले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए ये स्पष्ट किया है. हाईकोर्ट (High Court) ने एससी-एसटी एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले को नजीर बनाते हुए कहा कि ऐसे मामले, जिनमें अपराध की सजा 7 साल से कम है, उनमें गिरफ्तारी की जरूरत नहीं है. इस याचिका के जवाब में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) सरकार ने भी कहा था कि वो आरोपी को गिरफ्तार करने नहीं जा रही.
गोंडा का है मामला
मामला 19 अगस्त 2018 का, गोंडा जिले के खोडारे पुलिस थाना क्षेत्र का है. यहां रहने वाली अनुसूचित जाति की शिवराजी देवी ने राजेश मिश्रा समेत चार लोगों के खिलाफ घर में घुसकर मारपीट करने और महिलाओं को अपशब्द कहने के आरोप में एससी-एसटी एक्ट की धारा 3 (1) द व 3 (1) घ समेत आईपीसी की अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई थी. राजेश ने केस खारिज करने के लिए एक याचिका दायर की थी.
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याचिका के जवाब में सरकार ने ये कहा
याचिका के जवाब में प्रदेश सरकार ने कहा था कि आरोपियों पर लगी सभी धाराओं में सजा 7 साल से कम की है. वैसे, एससी-एसटी एक्ट में आजीवन कारावास की सजा और जुर्माने का प्रावधान है लेकिन धारा 3 (1) के अंतर्गत अधिकतम 5 साल की ही सजा है. याचिका की सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार ने कहा कि वो आरोपी को गिरफ्तार नहीं करने जा रही है जिसके बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के जवाब को स्वीकार कर लिया और राजेश मिश्रा ने भी अपनी याचिका वापस ले ली.
जानें- कोर्ट ने क्या कहा
हाईकोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी के सेक्शन 41 ए के तहत गैर जरूरी गिरफ्तारी रोकने का प्रावधान है. इसके अनुसार आरोपी को पुलिस अधिकारी के समक्ष पेश होने का नोटिस जारी किया जाएगा. पुलिस को लगेगा कि आरोपी की गिरफ्तारी जरूरी नहीं है तो वो उसे नोटिस जारी कर अपने सामने उपस्थित होने या बताई गई जगह पेश होने के लिए कहेगी. अगर आरोपी नोटिस का अनुपालन करता है तो उसे गिरफ्तार नहीं किया जाएगा और अगर किसी वजह से आरोपी की गिरफ्तारी होती भी है तो पुलिस अधिकारी को उसका कारण लिखकर देना होगा. अगर आरोपी नोटिस का अनुपालन नहीं करता है तो पुलिस अधिकारी उसे गिरफ्तार कर सकता है.
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