लखनऊ: उत्तर प्रदेश में जितने लोग कोरोना से नहीं मर रहे हैं, उससे ज्यादा लोग बदइंतजामी से मर रहे हैं. कहीं मरीजों को बेड नहीं मिल रहा है तो कहीं वेंटिलेटर धूल फांक रहे हैं. कई जगह वेंटिलेटर्स चलाने के लिए ऑपरेटर नहीं हैं. कहीं ऑक्सीजन नहीं है तो कहीं पीने का पानी ही गायब है. मतलब साफ है कि सुविधाओं की कमी नहीं है. बस हम सवेदनहीनता से लाचार हो गए हैं. संवेदनहीन लोगों के हाथ में सिस्टम की चाबी होने से न केवल लोगों को भारी असुविधा हो रही है, बल्कि जान से भी हाथ धोना पड़ रहा है.


मेरठ, जालौन और बलिया के अस्पतालों की तस्वीरें देखकर आप भी दंग रह जाएंगे. इन जगहों पर सुविधाओं की कमी नहीं, बल्कि लापरवाही लोगों की जिंदगी पर भरी पड़ रही है. मेरठ मेडिकल कॉलेज की तस्वीर देखकर आपके होश फाख्ता हो जाएंगे.



वहीं जालौन के जिला अस्पताल में वेंटिलेटर के 10 बेड खली हैं. पीएम केयर फंड से लाखों की लागत वाले वेंटिलेटर्स भेजे गए, जो अभी धूल फांक रहे हैं. जबकि जिले में पिछले 7 दिनों में 50 लोगों ने सही इलाज न मिलने से कोरोना से दम तोड़ दिया. एक तरफ मौत का बढ़ता आंकड़ा है तो दूसरी तरफ जिला अस्पताल में जिंदगी को चिढ़ाती करोड़ों की बर्बादी है.


जालौन की DM प्रियंका निरंजन कहती हैं, 'कोई समस्या आती है तो हम CMO के माध्यम से दूर करने की कोशिश करेंगे.' कुल मिलकर DM को पता ही नहीं कि इस मुश्किल दौर में उनके जिले में लोगों के लिए क्या सुविधाएं हैं, उन्हें पता ही नहीं. उधर, बलिया के ट्रामा सेंटर की तस्वीरें भी कम विचलित करने वाली नहीं है. यहां भी वेंटिलेटर्स शो पीस बने हुए हैं, क्योंकि उसे चलने वाले ऑपरेटर ही यहां नहीं है. 


हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल से एक महिला का वीडियो वायरल हुआ, जिसमें महिला पानी की किल्लत बयां कर रही थी और वीडियो जारी करने के कुछ ही देर बाद उस महिला की मौत हो गई. जबकि अस्पताल प्रशासन पानी की किल्लत से इनकार कर रहा है. राज्य कोई भी हो, अस्पताल कोई भी हो, जितने लोग कोरोना महामारी से नहीं मर रहे, उससे ज्यादा लोग बदइंतजामी से मर रहे हैं.


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