लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार (Yogi Adityanath Government) ने जिला पंचायत अध्यक्षों और ब्लाक प्रमुखों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की व्यवस्था बदल दी है. अब यह प्रस्ताव दो साल से पहले नहीं लाया जा सकता है. योगी आदित्यनाथ कैबिनेट के प्रस्ताव को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ( Anandiben Patel, Governor of UP) ने मंजूरी दे दी है.इसके बाद से पंचायती राज अनुभाग-2 ने क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत संसोधित अध्यादेश 2022 की अधिसूचना जारी कर दी है.अब प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्षों और ब्लॉक प्रमुखों को उनके पद से हटाना आसान नहीं होगा.दो साल से पहले अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकेगा. अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए दो तिहाई वोट की जरुरत पड़ेगी.
योगी सरकार ने क्या प्रस्ताव किया था
इस संबंध में कैबिनेट का प्रस्ताव मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास भेजा गया था.योगी सरकार के इस प्रस्ताव पर राज्यपाल ने मुहर लगा दी है.अभी तक यूपी में जिला पंचायत अध्यक्षों और ब्लाक प्रमुखों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की न तो कोई समय सीमा थी और न ही संख्या बल की स्थिति स्पष्ट थी.इसकी वजह से मनमाने तरीके से अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता था. आम तौर पर प्रदेश में सरकार बदलने के साथ ही यह काम शुरू हो जाता था.इस तरह से ज्यादातर जिला पंचायत अध्यक्षों और ब्लाक प्रमुखों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर उन्हें पद से हटा दिया जाता था. सरकार का कहना है कि इस तरह विकास कार्य प्रभावित होते थे.
पंचायती राज विभाग की अधिसूचना जारी
पंचायती राज विभाग की अधिसूचना के बाद नई व्यवस्था प्रभावी हो गई है.अब विपक्ष को अविश्वास प्रस्ताव लाने से पहले दो तिहाई बहुमत की स्थिति स्पष्ट करनी होगी. इसके बाद ही अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकेगा.
उत्तर प्रदेश में पंतायत चुनाव
उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पिछले साल अप्रैल-मई में कराए गए थे. प्रदेश में जिला पंचायत सदस्य की 3050 सीटें हैं. इनमें से 768 सीटों पर बीजेपी समर्थित उम्मीदवारों, 759 पर समाजवादी पार्टी समर्थित उम्मीदवारों, 319 सीटों पर बसपा समर्थित उम्मीदवारों, 125 पर कांग्रेस समर्थित उम्मीदवारों, 69 पर राष्ट्रीय लोकदल समर्थित उम्मीदवारों, 64 पर आम आदमी पार्टी समर्थित उम्मीदवारों और सबसे अधिक 944 निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी.
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