भक्तों से गुलजार रहने वाले केदारनाथ धाम में पसरा सन्नाटा, कोरोना महामारी से बढ़ी बेरोजगारी
केदारनाथ धाम में यात्री नदारद हैं. कोरोना महामारी की वजह से बाबा का धाम सन्नाटे में डूबा है. इस यात्रा पर निर्भर रहने वाले लोगों का रोजगार छिन गया है. आर्थिक हालात बिग़ड़ चुके हैं.
रुद्रप्रयाग: इन दिनों यात्रियों की चहलकदमी से गुलजार रहने वाले विश्व विख्यात केदारनाथ धाम में दूर-दूर तक सन्नाटा पसरा हुआ है. मंदिर परिसर में एक भी भक्त नहीं दिखाई दे रहा है. दो वर्षों की यात्रा पर कोरोना की बुरी मार पड़ी है. कोरोना महामारी ने केदारनाथ की यात्रा से अपनी आजीविका चलाने वाले हजारों लोगों को बेरोजगार कर दिया है. बाबा की नगरी में मात्र कुछ तीर्थ पुरोहित, देव स्थानम बोर्ड के अधिकारी-कर्मचारी और पुनर्निर्माण कार्यों में लगे मजदूर ही दिखाई दे रहे हैं.
कोरोना महामारी ने यात्रा को किया प्रभावित
16-17 जून 2013 की आपदा के बाद वर्ष 2016 में केदारनाथ धाम की यात्रा पटरी पर लौटी. जहां आपदा से पहले प्रत्येक यात्रा सीजन में चार से पांच लाख भक्त केदारनाथ के दर्शनों के लिये आते थे, वहीं आपदा के बाद वर्ष 2019 में दस लाख से अधिक भक्त बाबा केदार के दर्शनों के लिये पहुंचे. वर्ष 2016 के बाद यात्रा इतनी परवान चढ़ रही थी कि रिकार्ड ध्वस्त हो रहे थे, लेकिन वर्ष 2020 में कोरोना महामारी आने के बाद यात्रा स्थगित हो गई. हालांकि यात्रा के अंतिम दो माह में भक्तों को धाम जाने की अनुमति दी गई, लेकिन कम ही संख्या में भक्त केदारनाथ पहुंचे. कपाट बंद होने के बाद भक्तों को उम्मीद थी कि 2021 में कोरोना महामारी समाप्त होगी और वह अपने आराध्य बाबा केदार के दर्शनों के लिये आएंगे, लेकिन इस बार भी महामारी अधिक फैलने के कारण यात्रा को स्थगित करना पड़ा. दो वर्ष की यात्रा न चलने से केदारनाथ यात्रा पर निर्भर रहने वाले घोड़े-खच्चर संचालक, होटल, लाॅज, डंडी-कंडी मजदूर आदि बेरोजगार हो गये हैं. अब इन लोगों के सामने आर्थिक समस्या खड़ी हो गई है.
2019 में पहुंचे थे रिकॉर्ड 10 लाख भक्त
वर्ष 2019 की बात करें तो उस समय यात्रा सीजन में 10 लाख से अधिक भक्त केदारनाथ पहुंचे थे. यात्रा ने सभी पुराने रिकार्ड ध्वस्त कर दिये थे. इन दिनों बाबा के दर्शनों के लिये प्रत्येक दिन बीस से पच्चीस हजार तीर्थ यात्री पहुंचते थे, लेकिन पिछले दो वर्षों से इन दिनों भक्तों से भरा रहने वाला बाबा केदार का दरबार वीरान पड़ा हुआ है. तीर्थ पुरोहित उमेश पोस्ती ने कहा कि धाम में दूर-दूर तक सिर्फ और सिर्फ सन्नाटा पसरा हुआ है. इन दिनों मंदिर परिसर से एक किमी दूर तक भक्त बाबा केदार के दर्शनों के लिये लंबी कतार में खड़े रहते थे और भक्तों को बाबा के दर्शनों के लिये घंटों तक इंतजार करना पड़ता था, लेकिन कोरोना महामारी के कारण बाबा का धाम वीरान है.
रोजगार पर कोरोना की मार
रुद्रप्रयाग भाजपा जिलाध्यक्ष दिनेश उनियाल ने कहा कि, कोरोना के कारण यात्रा और यहां के लोगों का रोजगार प्रभावित हुआ है. केदारघाटी के लोगों की आर्थिकी यात्रा पर ही निर्भर रहती है. ऐसे में वे भी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि कब सरकार चारधाम यात्रा को खोले और यहां तीर्थ यात्रियों का आगवामन हो सके. जिससे उनका रोजगार चल सके.
एक जुलाई से शुरू हो सकती है यात्रा
रुद्रप्रयाग जिलाधिकारी मनुज गोयल ने कहा कि, पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद कोरोना महामारी के कारण तीर्थयात्रियों के केदारनाथ धाम जाने पर रोक लगाई गई है. ऐसे में कोविड का असर यात्रा पर पड़ा है. एक जुलाई से यात्रा शुरू होने के आसार हैं. वर्तमान में धाम में मूलभूत सुविधाओं को जुटाया जा रहा है. पैदल मार्ग भी तैयार है. बारिश से जो नुकसान गौरीकुण्ड-केदारनाथ पैदल मार्ग को हुआ है, उसे दुरूस्त किया जा रहा है. जब भी यात्रा शुरू होगी, प्रशासन की तैयारियां पूर्ण रहेंगी.
रुद्रप्रयाग पुलिस अधीक्षक आयुष अग्रवाल ने कहा कि कपाट खुलने के बाद शासन से जो भी निर्देश दिये जायेंगे, उनका पालन किया जा रहा है. धाम में कुछ जवान, मजदूर और पुलिस फोर्स की तैनाती की गई है. यदि यात्रा खुलती है तो यात्रियों की सुविधा के लिये धाम और पैदल मार्ग पर अतिरिक्त फोर्स की तैनाती की जायेगी.
सुबह और सांय के समय लेजर लाइट केदारनाथ मंदिर की भव्यता को बढ़ा रहे हैं. मंदिर अनेक प्रकार की लेजर लाइटों से जगमगा रहा है, जिससे मंदिर की भव्यता देखते ही बन रही है. भक्तों के न होने के बावजूद देवस्थानम बोर्ड के पुजारी नित्य बाबा केदार की पूजा-अर्चना करने में लगे हुये हैं.
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