लखनऊ, (शैलेश अरोड़ा)। एक तरफ तो योगी सरकार सूबे के सरकारी स्कूलों को कान्वेंट जैसा बनाना चाहती है। वहीं दूसरी ओर विभागीय अधिकारी सरकार की मंशा को पलीता लगाने में लगे हैं। हालात ये है कि मुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री के आवास के पास के मॉडल प्राइमरी स्कूल तक बिजली कनेक्शन जैसी बुनियादी सुविधा को तरस रहे हैं।


मुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री के आवास के करीब ही अंधेरे में स्कूल
कैबिनेटगंज प्राइमरी स्कूल को बेसिक शिक्षा विभाग ने मॉडल बनाने का दावा किया। लेकिन इस मॉडल स्कूल में बिजली का कनेक्शन तक नहीं है। ये हाल तब है जबकि स्कूल की दूरी मुख्यमंत्री आवास से एक किलोमीटर भी नहीं। इतना ही नहीं इस स्कूल से ऊर्जा मंत्री का आवास भी महज 150 से 200 मीटर ही दूर है। यह जानने के बाद और ताज्जुब होता है की इस स्कूल को विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष ने गोद लिया हुआ है। इसके अलावा स्कूल के विकास का काम सीएसआर के तहत केंद्र सरकार के उपक्रम पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड के जिम्मे है।



शोपीस बने कंप्यूटर लैब और पंखे बत्ती
ले ही ये परिषदीय स्कूल हो लेकिन यहां कंप्यूटर लैब भी है। इस कंप्यूटर लैब का उद्घाटन 2018 में खुद निदेशक बेसिक शिक्षा ने किया था। फिल्टर पानी के लिए यहां आरओ और ठंडे पानी की मशीन भी लगी है। पंखा, ट्यूबलाइट सब है लेकिन बिजली ना होने की वजह से सब बेकार।


पंखे के बाद भी गर्मी, ट्यूबलाइट के बाद भी अंधेरा
स्कूल में बिजली ना होने की वजह से छात्र छात्राओं को पंखे लगे होने के बावजूद गर्मी में पसीना बहाते हुए पढ़ना पड़ता है। ट्यूबलाइट होने के बाद भी अंधेरे में किताबों में आंखें बनानी पड़ती है। आरओ होने के बाद भी पीने के लिए फिल्टर वॉटर नहीं मिल पाता।



32 करोड़ खर्च फिर भी चिराग तले अंधेरा
लोकसभा चुनाव से पहले बेसिक शिक्षा विभाग ने प्रदेश के सभी स्कूलों तक बिजली कनेक्शन पहुंचाने के लिए 32 करोड़ रुपये यूपी पॉवर कारपोरेशन को दिये। अप्रैल में ही सभी स्कूलों में बिजली कनेक्शन के निर्देश भी जारी किये गए। विभाग की माने तो सभी स्कूलों में बिजली कनेक्शन हो चुके हैं। लेकिन हकीकत बताने के लिए मुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री के आवास के पास का ये मॉडल स्कूल काफी है।