गोंडा: सरकार गरीबों की बेबसी दूर करने के लिए कई योजनाएं चला रही है, लेकिन सत्ताशीन नेताओं द्वारा जनता की उपेक्षा व नौकरशाही की लापरवाही के चलते बेबस गरीबों के लिए सरकार की जन कल्याणकारी योजनाएं भी बेबसी का पर्याय बनती जा रही हैं. कुछ ऐसी ही दर्दनाक तस्वीर गोंडा जिले के झंझरी ब्लॉक से सामने आई है.


नहीं मिला किसी भी योजना का लाभ


यहां डडवा कानूनगो गांव की रहने वाली सुनीत पिछले कई सालों से अपने बच्चों को लेकर छप्पर के मकान में रहकर गरीबी का दंश झेल रही है. सरकार की कोई भी योजना सुनीता की मुफलिसी का सहारा न बन सकी. सुनीत को आज तक ना ही आवास, ना ही शौचालय, न ही उज्जवला योजना का लाभ मिला. उपेक्षाओं की पराकाष्ठा की सभी हदें तो तब पार हो गयी जब इस परिवार को सभी प्रकार की योजनाओं से वंचित रखा गया. जिसके लिए वह दर दर भटकती रही लेकिन सुनने वाला कोई नहीं.


बीडीओ को सौंपी गई जांच


इस मामले में जब सीडीओ शशांक त्रिपाठी से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि यह सूचना अभी मेरे संज्ञान में आई है और ऐसा होना दुर्भाग्यपुर्ण है. इसकी जांच में झंझरी ब्लॉक के बीडीओ(खंड विकास अधिकारी) को दी है और दो दिन में रिपोर्ट मांगी है. साथ ही उन्होंने कहा कि यह परिवार जिस भी योजना के लिए पात्र होगा उसे निश्चित रूप से उसका लाभ दिलवाया जाएगा.


सरकारी योजनाओं का लाभ गरीबों तक पहुंचाने के दावों का ढिंढोरा पीटने वालों को आईना दिखती यह खबर फिलहाल एक हो लेकिन आज भी न जाने कितने बेबस, गरीब ऐसे हैं जिन्हें दो जून की रोटी, और सिर ढकने के लिए मकान मयस्सर नहीं, जिसके लिए वे आज भी दर दर की ठोकरें खाने के लिए मजबूर हैं.


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