लखनऊ, शैलेश अरोड़ा। बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी मुख्यमंत्री योगी की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर पलीता लगाने में लगे हैं। पहले परिषदीय स्कूलों में घटिया बैग और जूते-मोज़े की सप्लाई हुई। एबीपी गंगा ने मुद्दा उठाया तो शासन ने मामले में जांच के आदेश दिये। लेकिन ये जांच एक महीना बीतने के बाद भी पूरी नहीं हुई।
प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले एक करोड़ 59 लाख छात्र छात्राओं को सरकारी योजना के तहत करीब 387 करोड़ के बजट से जूते मोजे और स्कूल बैग बांटे गए हैं। लेकिन ये बैग चंद महीनों में ही फटने लगे। वहीं जूते मोजे भी मानक से हल्की क्वालिटी के बांटे जाने के मामले सामने आये। एबीपी गंगा ने दोनों ही मामलों को प्रमुखता से उठाया। इसके बाद शासन ने 15 अक्टूबर को जांच के आदेश दिए। मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में 4 सदस्यीय उड़नदस्ता दल का गठन कर 7 दिन में जांच करके अगले 7 दिन में रिपोर्ट सम्बंधित डीएम को सौंपनी थी। इसके आधार पर डीएम को घटिया क्वालिटी के या फटे जूते मोज़े, स्कूल बैग बदलवाने थे। सभी डीएम को जनपद में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट महानिदेशक स्कूल शिक्षा को भेजनी थी। महानिदेशक स्कूल शिक्षा को 10 दिन में सभी जिलों की रिपोर्ट शासन को देने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन आज तक महानिदेशक को ही जिलों की रिपोर्ट नहीं मिली।
एबीपी गंगा की टीम एक बार फिर से स्कूलों में पहुंची और हालात जाने। सामने आया कि स्कूलों में सिर्फ घटिया बैग और जूते मोज़े बांटने का ही खेल नहीं हुआ। बल्कि कई स्कूलों में जूते बांटे ही नहीं गए। छात्रों ने बताया की पहले गलत साइज के जूते आये इसलिए बाद में सही देने की बात कही गयी थी। लेकिन आज तक नहीं मिले। जबकि विभागीय आंकड़ों में सप्लाई पूरी हो चुकी है।