Meerut: जिला प्रशासन के तुगलकी फरमान से होम आइसोलेशन के मरीजों की जिंदगी खतरे में, नहीं मिल रही ऑक्सीजन
यूपी के मेरठ में जिला प्रशासन का एक फरमान होम आइसोलेशन के मरीजों के लिये आफत बन गया है. इन मरीजों को ऑक्सीजन का सिलेंडर ही नहीं मिल रहा है. इनके परिजन दर दर भटक रहे हैं.
मेरठ: मेरठ जिला प्रशासन के एक आदेश ने घर में पड़े उन मरीजों की मुश्किल बढ़ा दी है, जो हॉस्पिटल्स में बेड ना मिलने के चलते घरों में ही आइसोलेट हैं, और जिन्हें सांस लेने में दिक्कतें आ रही हैं. बुधवार को मेरठ के एक गैस प्लांट का दुखद नजारा देख कर शायद ही कोई ऐसा हो जिसका दिल रो ना पड़े. मुरादनगर के रहने वाले अमित वर्मा अपने पिता के साथ मेरठ के मोइद्दीनपुर स्थित कंसल गैस गोदाम पर ऑक्सीजन सिलेंडर भरवाने पहुंचे थे. लेकिन वहां पहुंचने पर उन्हें बता दिया गया कि ऑक्सीजन सिलेंडर सिर्फ हॉस्पिटल को ही मिलेंगे, किसी को भी व्यक्तिगत तरीके से गैस सिलेंडर नहीं मिलेगा. क्योंकि मेरठ प्रशासन ने जिले में व्यक्तिगत लोगों को आक्सीजन की सप्लाई पर प्रतिबंध लगा दिया है. दलील है कि, जितनी सप्लाई मौजूद है उससे अस्पतालों की पूर्ति नहीं हो पा रही है, और व्यक्तिगत गैस सप्लाई देने से उसकी कालाबाजारी की संभावनाएं बढ़ जाती हैं.
गोदाम के बाहर बाप-बेटे लगाते रहे गुहार
मेरठ के मोइद्दीनपुर स्थित कंसल गैस गोदाम के बाहर बाप-बेटे घंटों गुहार लगाते रहे कि, इनको ऑक्सीजन की बहुत सख्त जरूरत है लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा, ऑक्सीजन गोदामों के बाहर आज दिन भर सैकड़ों लोग इसी तरह रोते-बिलखते देखे गये. कारण था...मेरठ के प्रशासन का तुगलकी फरमान जिसके तहत अब व्यक्तिगत रूप से आक्सीजन की सप्लाई नहीं मिल सकेगी. कलेक्टर साहब का यह तुगलकी फरमान घरों में बीमार पड़े उन लोगों के लिए मौत का वारंट है, जिन्हें हर रोज आक्सीजन की जरूरत होती है.
मेरठ में हाहाकार
मेरठ में कई दिनों से अस्पतालों में बेड फुल हैं. एक-एक बेड के लिए मारामारी है. कोरोना पॉजटिव हजारों लोग ऐसे हैं, जिनको आक्सीजन की जरूरत है. बहुत से ऐसे भी हैं, जिनको सांस की बीमारी के चलते लगातार ऑक्सीजन की जरूरत बनी रहती है, लेकिन मेरठ प्रशासन के इस आदेश के बाद ऐसे लोगों की जिंदगी पर संकट छा गया है.
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