इटावा: इटावा महामारी की दूसरी लहर में इटावा शमशान घाट पर अपनो की चिता जलाने के लिए लोगों को जगह नहीं मिल रही है. घाट पर बने 11 चबूतरों अंत्येष्टि स्थल पर कल से लेकर आज दोपहर तक 35 लोगों का अंतिम संस्कार हो चुका है. शमशान घाट के बाहर बने टाल पर लकड़ी पहुंचाने का काम करने वाली तीन बहनों ने बताया बचपन से पिताजी के साथ काम कर रही हैं, लेकिन घाट पर ऐसा नज़ारा कभी नहीं देखा.


जगह नहीं बची श्मसान घाट पर


इटावा श्मशान घाट में कल से लेकर आज तक 35 से ज्यादा लोगों की चिंताएं जल चुकी हैं.  श्मशान घाट पर काम करने वाले व्यक्ति चंद्रशेखर की माने तो कल मंगलवार को 29 लोगों का दाह संस्कार हुआ और आज दोपहर तक 7 से 8 लोगों की चिंताएं जल चुकी हैं. चंद्रशेखर ने बताया कि, एक समय ऐसा भी आया था कि जब श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार करने के लिए जगह नहीं बची थी, क्योंकि श्मशान घाट पर 11 चबूतरे अंतिम क्रिया कर्म के लिए बनाए गए हैं, जो कि वर्ष 2013 में नगर पालिका चेयरमैन सिंटू गुप्ता के द्वारा बनाए गए थे. तब से लेकर आज तक कभी भी इतनी बड़ी संख्या में लोगों को अपनों की चिंताएं जलाते हुए नहीं देखा. जिसको जहां जगह मिल रही है वहीं पर अंतिम संस्कार किया जा रहा है.


 पहले ऐसा कभी नहीं देखा


वहीं, श्मशान घाट के बाहर लकड़ी के टाल पर अपने पिता का हाथ बंटाने वाली तीन बेटियों ने बताया कि बचपन से वह अपने पिता के साथ टाल से श्मशान घाट तक लकड़ी पहुंचाने का काम कर रही हैं. पिछले 45 सालों में उनके पिता ने एवं उन्होंने जब से होश संभाला है तब से आज तक घाट पर ऐसा माहौल कभी नहीं देखा. वहीं, जिला प्रशासन के द्वारा कल कोराना से केवल तीन लोगों की मौत को दिखाया गया है, अब समझ में यह नहीं आ रहा है कि आखिर क्यों जिला प्रशासन मौत के आंकड़ों को छिपा रहा है. इटावा में इस समय मुख्य चिकित्सा अधिकारी की मानें तो 1552 एक्टिव केस हैं.


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