साल भर से लाल फीताशाही में अटकी है संस्कृत पाठशालाओं में नियुक्ति की फाइल, आप भी जानें- वजह
योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में 14 जून, 2019 को हुई बैठक में संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों का निरीक्षण करने का निर्देश दिया गया। इस बैठक में कहा गया कि छात्रों की पर्याप्त संख्या वाले विद्यालयों में मानक के अनुसार शिक्षक तैनात किए जाएं।
प्रयागराज, एजेंसी। उत्तर प्रदेश में संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने और संस्कृत विद्यालयों की दशा सुधारने की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इच्छाशक्ति पर लाल फीताशाही भारी पड़ती दिख रही है। संस्कृत पाठशालाओं में शिक्षकों की नियुक्ति कराने की फाइल पिछले एक साल से भी अधिक समय से लखनऊ में अटकी पड़ी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेशभर में सहायता प्राप्त संस्कृत पाठशालाओं में स्तरीय शिक्षकों की नियुक्ति सुनिश्चित करने के लिए अध्यापकों की नियुक्तियां उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड से कराने का निर्देश दिया था। इस संबंध में 28 मार्च, 2018 को शासन द्वारा एक पत्र जारी किया गया।
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि चयन बोर्ड द्वारा इन शिक्षकों की नियुक्ति के लिए उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद (संस्थाओं के प्रधानाचार्य, अध्यापक एवं अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति तथा सेवा शर्तें) विनियमावली-2009 में संशोधन का प्रस्ताव 9 अप्रैल, 2018 को संयुक्त सचिव के पास भेजा गया। उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव भेजे हुए एक साल से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन आज की तिथि तक प्रस्ताव पर अनुमोदन नहीं आया। इसकी वजह से विभिन्न संस्कृत विद्यालयों के प्रबंधकों ने इस बीच मनमाफिक शिक्षकों की नियुक्ति कर ली।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में कुल 1,151 माध्यमिक संस्कृत विद्यालय हैं जहां प्रथमा से लेकर मध्यमा कोर्स तक की पढ़ाई होती है। इनमें 973 अनुदानित माध्यमिक संस्कृत विद्यालय हैं, जबकि बाकी निजी माध्यमिक संस्कृत विद्यालय हैं।
सूत्रों ने बताया कि माध्यमिक शिक्षा विभाग की कार्य योजना की समीक्षा के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में 14 जून, 2019 को हुई बैठक में संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों का निरीक्षण करने का निर्देश दिया गया। इस बैठक में कहा गया कि छात्रों की पर्याप्त संख्या वाले विद्यालयों में मानक के अनुसार शिक्षक तैनात किए जाएं। जिन विद्यालयों में छात्र की संख्या बहुत कम है, उन विद्यालयों के छात्रों को निकट के विद्यालय में नामांकित किया जाए।
अधिकारी ने कहा कि संस्कृत विद्यालयों की वास्तविक स्थिति का पता तभी लगेगा जब मंडल स्तर के संस्कृत उप निरीक्षक और जिला विद्यालय निरीक्षक की अलग-अलग टीमों के बजाय इनकी एक संयुक्त टीम यह निरीक्षण करे।
विभाग से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि प्रदेश में संस्कृत पाठशालाओं का नियमित निरीक्षण करने के लिए मंडल स्तर पर उप निरीक्षक, संस्कृत के 17 पद सृजित किए गए हैं। लेकिन इनमें से मात्र 9 मंडलों- लखनऊ, बरेली, मेरठ, गोरखपुर, फैजाबाद, आगरा, वाराणसी, कानपुर और प्रयागराज में ही उप निरीक्षक, संस्कृत तैनात हैं और बाकी मंडलों में यह पद लंबे समय से रिक्त है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में प्रायमरी एवं जूनियर हाईस्कूल में कक्षा 3 से 8 तक संस्कृत एक अनिवार्य विषय है, लेकिन इसके लिए संस्कृत शिक्षकों की नियुक्ति का सरकार की ओर से कोई आदेश नहीं है, जबकि उर्दू के मामले में स्थिति बिल्कुल उलट है। यदि बेसिक शिक्षा में संस्कृत के अध्यापकों की नियुक्ति का आदेश जारी हो जाए तो संस्कृत विद्यालयों में छात्रों की संख्या में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी।