नई दिल्ली: यूपी के बाहुबली नेता अतीक अहमद के बेटे मोहम्मद उमर को आज सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली. एक व्यवसायी को अगवा कर देवरिया जेल ले जाने और उससे मारपीट करने के मामले में कोर्ट ने उमर को अग्रिम जमानत देने से मना कर दिया. उसके खिलाफ लखनऊ की कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया हुआ है.


आरोप है कि 26 दिसंबर 2018 को मोहम्मद उमर ने 25-30 गुंडों के साथ लखनऊ के प्रॉपर्टी कारोबारी मोहित जायसवाल को अगवा कर लिया था. वह उसे देवरिया जेल में बंद अपने पिता अतीक अहमद के पास ले गया. वहां जेल के बैरक में मोहित जयसवाल की पिटाई की गई. 45 करोड़ रुपए की जमीन के कागज पर जबरन दस्तखत करवा लिए गए. मोहित की एसयूवी गाड़ी भी वहीं रखवा ली गई.


शुरू में यूपी पुलिस ने मामले की जांच की और अतीक के कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया. कुछ दिनों बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. घटना की जानकारी मिलने पर सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कड़ी नाराजगी जताई. 23 अप्रैल 2019 को कोर्ट ने अतीक को गुजरात की हाई सिक्योरिटी जेल में भेजने का आदेश दे दिया. सुप्रीम कोर्ट ने बाद में जांच मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी.


हम याचिका खारिज कर रहे हैं- SC


जून 2019 में सीबीआई ने मामले में एफआईआर दर्ज की. 23 जुलाई 2019 को लखनऊ की विशेष कोर्ट ने मोहम्मद उमर को पेश होने के लिए समन जारी किया. मोहम्मद उमर के अब तक पेश न होने पर इस 12 फरवरी को उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया.


गिरफ्तारी से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे मोहम्मद उमर की याचिका आज जस्टिस एनवी रमना, सूर्य कांत और अनिरुद्ध बोस की बेंच में लगी. उमर की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील पी एस पटवालिया ने अग्रिम जमानत की गुहार की. लेकिन जजों ने इससे मना करते हुए से कहा, "कई लोगों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई नहीं कर पाती. आपको जुलाई 2019 में समन जारी हुआ था. अब जब कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी कर दिया है, तब आप अग्रिम जमानत मांग रहे हैं. लेकिन इस मामले में आपको कोई राहत नहीं दी जा सकती है. हम याचिका खारिज कर रहे हैं."


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