देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के ट्रैफिक ऑफिस में सीज हुए वाहनों की संख्या अब इतनी अधिक हो चुकी है कि पुलिस कर्मियों के लिए अपने वाहनों को खड़ा करने की जगह तक नहीं बची है. देहरादून का ट्रैफिक ऑफिस पूरी तरह से कबाड़खाने में तब्दील हो चुका है. लम्बे समय से जब्त हुए वाहनों की नीलामी भी नहीं हुई है, जिसकी वजह से ये समस्या विकराल होती नजर आ रही है.
थानों में धूल फांक रहे हैं वाहन
ट्रैफिक ऑफिस ही नहीं देहरादून के सभी थानों में स्थिति ऐसी ही बनी हुई है. आलम ये है कि वाहनों के कारण थानों में ठीक ढंग से साफ-सफाई भी नहीं हो पाती है. ये वाहन बेवजह जगह घेरे हुए हैं. वाहनों की नीलामी प्रक्रिया समय से हो जाती तो प्रशासन को भी अच्छा राजस्व मिलता. दुर्घटना और आपराधिक घटनाओं सहित कई मामलों में पुलिस वाहनों को जब्त तो कर देती है लेकिन समय पर नीलामी ना करा पाने की वजह से वाहन ट्रैफिक ऑफिस और थानों में धूल फांक रहे हैं.
समय से नीलामी हो तो राजस्व भी मिलेगा
पुलिस की तरफ से जब्त किए गए वाहनों की नीलामी प्रक्रिया समय से की जाए तो इन वाहनों से प्रशासन को अच्छा राजस्व भी मिलेगा और थाने चौकियों में जगह भी रहेगी. ट्रैफिक ऑफिस में वाहनों की इतनी संख्या हो गई है कि साफ-सफाई की व्यवस्था भी पूरी तरह से प्रभावित हो गई है. लम्बे समय से खड़े ये वाहन अब किसी काम के भी नहीं बचे हैं. सवाल ये भी है कि इन वाहनों की बोली लगाने के लिए भी कोई तैयार नहीं होगा. ऐसे में समय जितना अधिक होगा इन वाहनों की दिक्कतें प्रशासन के लिए उतनी ही बढ़ती जाएंगी.
कैसे होती है नीलामी प्रक्रिया
वाहनों की नीलामी प्रक्रिया प्रशासन की देखरेख में होती है. जिसमें काफी कानूनी औपचारिकताएं भी पूरी करनी होती हैं. इससे पहले बकायदा वाहन स्वामी को भी नोटिस भेजना होता है. उधर, एसपी ट्रैफिक का कहना है कि पूरी कोशिश की जा रही है कि वाहनों की नीलामी प्रक्रिया जल्द से जल्द हो सके ताकि पुलिस कर्मियों को भी अपने वाहन खड़े करने की जगह मिल सके.
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