प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि आपराधिक कानून के तहत परिवाद दर्ज कराने के लिए शिकायतकर्ता को किसी विशेष योग्यता की आवश्यकता नहीं है. कोई भी व्यक्ति सक्षम मजिस्ट्रेट के यहां परिवाद दर्ज करा सकता है. मजिस्ट्रेट ऐसे परिवाद पर संज्ञान लेने से इंकार नहीं कर सकते, सिवाए उन मामलों के जहां विशेष कानून गठित किए गए हैं और उनके तहत शिकायत करने वाले के लिए विशेष योग्यता का होना आवश्यक हो.


कोर्ट ने मथुरा में अल्ट्रासाउंड केंद्र संचालित करने वाली डाक्टर अंजू गोस्वामी को भ्रूण लिंग निर्धारण के आरोप में दर्ज मुकदमे में राहत देने से इंकार करते हुए याचिका खारिज कर दी है.


हरियाणा की टीम ने मथुरा में मारा था छापा
डा. अंजू गोस्वामी में पीएनडीटी एक्ट के तहत दर्ज परिवाद को रद्द करने की मांग को लेकर याचिका दाखिल की थी. याचिका पर न्यायमूर्ति आरके गौतम ने सुनवाई की. याची का कहना था कि उनके अल्ट्रासाउंड केंद्र पर पलवल हरियाणा के सीएमओ की एक टीम ने छापा मारा और उनकी रिपोर्ट पर मथुरा के एसीएमओ, पीएनडीटी डा. देवेंद्र अग्रवाल ने याची और डा. उपेंद्र गोस्वामी व एक अन्य के खिलाफ मथुरा में पीएनडीटी एक्ट की धाराओं में भ्रूण लिंग निर्धारण कानून के उल्लंघन के आरोप में परिवाद कायम करा दिया है.


याची का कहना था कि पलवल के सीएमओ की टीम को गैर राज्य के अल्ट्रासाउंड केंद्र पर छापा मारने का अधिकार नहीं है. उनकी छापेमारी और रिपोर्ट के आधार पर एसीएमओ मथुरा को परिवाद दर्ज कराने का अधिकार नहीं है. जबकि राज्य सरकार के अधिवक्ता का कहना था कि पलवल की टीम वहां के सीएमओ कार्यालय की टीम है जो सक्षम प्राधिकारी हैं. छापा मारने के दौरान मथुरा के एक मजिस्ट्रेट भी टीम में शामिल थे.


महिलाओं की गरिमा को बचाने के लिए है पीएनडीटी एक्ट
कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि परिवाद दर्ज कराने के लिए शिकायतकर्ता की योग्यता महत्वपूर्ण है. यदि कोई विशेष कानून गठित है जिसके तहत शिकायत दर्ज कराने के लिए विशेष योग्यता की आवश्यकता है तो शिकायतकर्ता को मजिस्ट्रेट को संतुष्ट करना होगा कि वह ऐसी शिकायत दर्ज कराने की योग्यता रखता है. इस मामले में शिकायत एसीएमओ पीएनडीटी ने दर्ज कराई है जो इस कार्य के लिए योग्यता रखते हैं.


कोर्ट ने कहा कि पीएनडीटी एक्ट का गठन समाज में लिंग अनुपात को संतुलित रखने और महिलाओं की गरिमा व स्वा‌भिमान को बचाने के लिए गठित किया गया है. कोर्ट ने राहत देने से इंकार करते हुए याचिका खारिज कर दी है


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