कानपुर: कुख्यात विकास दुबे का मामला पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों के लिए एक सबक बन गया है. कानपुर पुलिस ने विकास दुबे को थाने का मोस्टवांटेड नहीं बताया था, तो वहीं जिला प्रशासन ने भी विकास दुबे को भूमाफिया में चिन्हित नहीं किया था. कानपुर के चिन्हित भू माफियाओं की सूची से विकास दुबे का नाम नदारद है. यूपी सरकार ने विकास दुबे जैसे अपराधी पर सामने आई कानूनी और प्रशासनिक खामियों से सबक लेते हुए बड़ा फैसला लिया है. अब प्रदेश के हर जिले में हो रही पुलिसिंग पर नजर रखने के लिए जिला कप्तान के साथ एक नोडल अधिकारी भी तैनात कर दिया गया है.


जिले में तैनात कप्तान के कामकाज की समीक्षा के लिए एक सीनियर आईपीएस अधिकारी को नोडल अफसर बनाया गया है. प्रदेश के 75 जिलों में 75 आईपीएस अफसर तैनात भी कर दिए गए हैं, जो 17 जुलाई तक अपने जिले में पहुंचकर समीक्षा शुरू करेंगे.


पुलिसकर्मियों का कामकाज देखेंगे नोडल अधिकारी
नोडल अधिकारी जिले में थानेदार से लेकर सिपाहियों तक की छवि, उनके कामकाज, समाज में उनकी छवि को परखेंगे. इसके साथ ही नोडल अधिकारी थाने और जिले स्तर पर बनी टॉप टेन अपराधियों की सूची की समीक्षा करेंगे. इन सबके साथ नोडल अधिकारी कोरोना काल में बनाए गए कंटेनमेंट जोन की व्यवस्था, जिले में मास्क पहनने, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन, नाइट कर्फ्यू के पालन पर सरकार को अपनी रिपोर्ट देंगे.


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