नोएडा, बलराम पांंडेय: नोएडा में फिर से शर्मसार करने की घटना सामने आई है. जहां इलाज नहीं मिलने से आठ माह की गर्भवती महिला और उसके गर्भ में पल रहे बच्चे की मौत हो गई. परिजनो का आरोप है कि कई घंटों तक गर्भवती महिला को एंबुलेंस एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल लेकर दौड़ती रही, लेकिन नोएडा के सरकारी और प्राइवेट सात अस्पतालों ने एडमिट करने से इंकार कर दिया. इलाज के अभाव में एंबुलेंस में ही महिला ने दम तोड़ दिया. डीएम इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं.



जिस आंगन में बच्चे की किलकारी गुंजनी थी, वहां लोगों का रुदन गूंज रहा था. गाजियाबाद के खोड़ा की रहने वाली नीलम कुमारी गौतम आठ महीने की गर्भवती थीं. उनका इलाज शिवालिक हॉस्पिटल में चल रहा था.  शुक्रवार को नीलम को सांस की परेशानी होने पर उसका पति घर से अस्पताल जाने के लिए सुबह 6 बजे निकला. 13 घंटे तक किसी अस्पताल ने उसे भर्ती नहीं किया.



परिवार के मुताबिक, नोएडा के ईएसआई हॉस्पिटल, जिला अस्पताल, शारदा हॉस्पिटल, जिम्स, वैशाली मैक्स हॉस्पिटल, नोएडा फोर्टिस अस्पताल और शिवालिक हॉस्पिटल में महिला को ले जाया गया. इन सभी अस्पताल ने इलाज करने से मना कर दिया. महिला की सांस फूल रही थी, कोविड के डर से सबने एडमिट करने से मना कर दिया. करीब 13 घंटे बीतने के बाद इलाज न मिलने पर शाम को महिला की एम्बुलेंस में ही मौत हो गई. बच्चा ने भी पेट के अंदर ही दम तोड़ दिया.



गौर करने वाली बात ये भी है कि इनमें जिम्स और शारदा हॉस्पिटल कोविड हॉस्पिटल हैं, यहां भी महिला को एडमिट नहीं किया गया.  शारदा हॉस्पिटल ने यहां तक कह दिया कि बेड नहीं है.  तो क्या अब नोएडा के कोविड हॉस्पिटल्स में बेड की भी कमी है? पूरे प्रकरण की जांच अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व मुनींद्र नाथ उपाध्याय तथा मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. दीपक अहोरी को सौंपी गई है. जिलाधिकारी ने दोनों अधिकारियों को इस प्रकरण में तत्काल जांच करते हुए कार्यवाही करने के भी निर्देश दिए हैं.


डीएम ने दिए जांच के आदेश


वहीं, डीएम सुहास एल वाई ने गर्भवती महिला की मौत के मामले में जांच के आदेश दिए हैं. अपर जिलाधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधिकारी को जांच सौंपी गई है.  डीएम ने तत्काल जांच कर कड़ी कार्रवाई के आदेश दिए हैं.


नोएडा के अस्पतालों में लापरवाही का ये कोई पहला मामला नहीं है, पहले भी एक नवजात शिशु पिता अपने बेटे को लेकर ग्रेटर नोएडा से नोएडा के अस्पतालो में भटकता रहा था, उसे एडमिट नहीं किया गया, जिससे बच्चे की मौत हो गई थी. एक अन्य मामले में डॉक्टरों की लापरवाही के कारण  प्रसव पीड़ा से परेशान महिला ने अस्पताल के बाहर एक बच्ची को जन्म दिया, उपचार नहीं मिलने से नवजात की मौत हो गई. इन मामलों की चल रही है जांच रही है.


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