Noida News: नोएडा ऑथरिटी की सीईओ रितु माहेश्वरी( Ritu maheshwari) को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान फटकार लगाई है वहीं उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट के अवमानना मामले में राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि अवमानना मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा नोएडा सीईओ के खिलाफ जारी गैर-जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) पर रोक लगाने का आदेश जारी रहेगा. मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि नोटिस जारी किया जाये. गैर-जमानती वारंट पर रोक अगले आदेश तक जारी रखा जाएगा.


शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई जुलाई में तय की है. वरिष्ठ अधिवक्ता रवींद्र कुमार ने नोएडा सीईओ रितु माहेश्वरी का पक्ष रखा. अवमानना के एक मामले में पेश होने में विफल रहने के बाद माहेश्वरी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के गैर-जमानती वारंट जारी करने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.


सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार


सुप्रीम कोर्ट ने रितु माहेश्वरी की याचिका पर नोटिस जारी किया. मामले की अगली सुनवाई जुलाई में होगी. सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा ऑथरिटी को फटकार लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ज़मीन लेने के बाद उचित मुआवजा ना देना सामान्य हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुंचने के बाद भी आप आदेशों का पालन नहीं करना चाहते हैं? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने कई मामलों में देखा है किआपने जमीन ली है,और मुआवजा नहीं दिया है


इससे पहले माहेश्वरी के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था कि वह हाई कोर्ट पहुंची तो थी, लेकिन देर हो गई और अदालत ने गैर जमानती वारंट जारी कर दिया.


अवमानना याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह को संबोधित करते हुए पीठ ने शुक्रवार को कहा, 'मान लीजिए कि आप किसी मामले में पेश हो रहे हैं, और आपका जूनियर कहे कि मेरे सीनियर आ रहे हैं.. यह तरीका नहीं है. सिंह ने तर्क दिया कि हाई कोर्ट का रोस्टर अब बदल गया है, और दूसरे जज मामले की सुनवाई कर रहे हैं. उन्होंने पीठ से आग्रह किया कि माहेश्वरी को हाई कोर्ट के सामने पेश होने दिया जाए अन्यथा भविष्य में अवमानना का अधिकार क्षेत्र बंद हो जाएगा.


पीठ ने सिंह से पूछा, हमें अवमानना में गैर-जमानती वारंट की शक्ति का उपयोग करना होगा? शीर्ष अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि यह एक रूटीन बन गया है जहां अधिकारी उचित मुआवजे के बिना जमीन छीन लेते हैं. यह तर्क दिया गया कि आदेश का पालन किया गया है और मुआवजे की पेशकश की गई है.


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