SIT जांच में खुलासा, बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिए नोएडा प्राधिकरण ने खुद उठाया करोड़ों का घाटा
एसआईटी की जांच में कई अहम खुलासे हो रहे हैं. जांच में पता चला है कि बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिए नोएडा प्रधिकरण के अधिकारियों ने नियम-कानून ताक पर रख दिए.
SIT Investigation in Noida: एसआईटी की जांच में धीरे-धीरे नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) के कारनामों का खुलासा हो रहा है. नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने बिल्डर को फायदा पहुंचाने लिए सभी नियम कानून ताख पर दिए. इस अनदेखी से प्राधिकरण को करोड़ो का नुकसान उठाना पड़ा. प्राधिकरण ने एसआईटी टीम को बताया कि लीज रेंट के बोर्ड में ढाई परसेंट की जगह पर एक परसेंट करने से प्राधिकरण ने खुद ही करोड़ों रुपये का नुकसान उठाया और इस कदम से केवल बिल्डरों को फायदा हुआ.
प्राधिकरण के अधिकारियों की बिल्डर पर मेहरबानी यहीं नहीं रुकी. इसके अलावा अधिकारियों ने बिल्डर को सीधा फायदा पहुंचाने के लिए ग्रुप हाउसिंग परियोजना में भी बदलाव कर डाला जिससे हजारों-करोड़ों रुपये बिल्डर पर प्राधिकरण का बकाया है. इस बदलाव की वजह से हजारों बायर्स रजिस्ट्री के लिए दर-दर भटक रहे हैं. प्राधिकरण के अधिकारियों ने बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिए नियमों को ताक पर रखते हुए लीज रेंट बोर्ड शुल्क को कम कर दिया. दरअसल पहले लीज रेंट बोर्ड शुल्क 2.5% था जिसे घटा कर एक प्रतिशत कर दिया गया. जिसका सीधा फायदा बिल्डर को हुआ और इस बदलाव से प्राधिकरण को करोड़ों रुपए का नुकसान उठाना पड़ा.
इसके बाद प्राधिकरण के अधिकारियों ने बिल्डर को सीधा फायदा पहुंचाने के लिए ग्रुप हाउसिंग परियोजना में भी बदलाव कर डाला. दरअसल, हाउसिंग में पहले बिल्डर को भूमि पंजीकरण के लिए 10 प्रतिशत रकम जमा करनी होती थी. जब जमीन आवंटित की जाती थी तो पूरी रकम का 20% बिल्डर को देना होता था जिससे जमीन आवंटन तक प्राधिकरण के पास 30 प्रतिशत पैसा आ जाता था और बाकी बकाया 70% राशि 5 सालों में 10 किस्तों में जमा करनी होता था, लेकिन 2009 में ग्रुप हाउसिंग परियोजना में बदलाव किया गया. ये बदलाव उस वक्त हुआ जब नोएडा प्राधिकरण के सीईओ मोहिंदर सिंह थे.
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