Jewar Airport: उत्तर प्रदेश के नोएडा अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट के पहले फेज का काम 2024 के दिसंबर महीने तक पूरा होने की उम्मीद है. यहां 3.9 किलोमीटर का रनवे बनकर तैयार हो चुका है. एयरपोर्ट की टर्मिनल बिल्डिंग का ढांचा भी खड़ा कर दिया गया है. इसमें 10 गेट बनाये जा रहे हैं और एटीसी टावर भी लगभग बनकर तैयार है. नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के सीईओ के मुताबिक, अप्रैल 2025 के अंत तक इस एयरपोर्ट से कमर्शियल फ्लाइट का संचालन भी शुरू हो जाएगा.


नोएडा अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट का उत्तर प्रदेश सरकार से 40 साल के लिए कॉन्सेशन समझौता हुआ है. यह करार 1 अक्टूबर 2021 से शुरू हुआ है. एयरपोर्ट का प्रथम चरण 1,334 हेक्टेयर में फैला है. इसका निर्माण चार चरणों में किया जा रहा है. इसका पहला चरण 2024 के अंत तक पूरा हो जाएगा और पहले चरण के दौरान एक रनवे और एक टर्मिनल होगा जो प्रतिवर्ष 1.2 करोड़ यात्रियों की आवाजाही के लिए तैयार होगा. सबसे बड़ी बात है कि हवाई अड्डे पर भारतीय संस्कृति को दर्शाने का सबसे ज्यादा प्रयास किया गया है. खास तौर से उत्तर प्रदेश की संस्कृति को आगे रखते हुए इसके मुख्य द्वार को बनारस के घाट के तर्ज पर डिजाइन किया गया है.


भारतीय अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन डॉलर और उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर पर ले जाने के लक्ष्य को पूरा करने में जेवर एयरपोर्ट काफी सहायक होगा. नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट ने बताया कि पहले फेज में 1,334 हेक्टेयर में 12 मिलियन कैपेसिटी के साथ जल्द शुरू होगा एयरपोर्ट.


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देश का सबसे बड़ा एयरपोर्ट
पूरी तरह तैयार होने के बाद देश में क्षेत्रफल के लिहाज से यह सबसे बड़ा एयरपोर्ट होगा. इसके टर्मिनल, एटीसी (एयर ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम) और हवाई पट्टी का काम लगभग पूरा हो चुका है. हवाई पट्टी पर लाइटिंग का काम भी 80 प्रतिशत तक पूरा हो चुका है. दिसंबर 2024 में फ्लाइट की ट्रायल और टेस्टिंग की जायेगी और अप्रैल 2025 से वाणिज्यिक उड़ानें शुरू होंगी.


अभी उड़ानों के लिए अकासा और इंडिगो एयरलाइंस के साथ से ज्यूरिख निर्माता कंपनी का एमओयू साइन हो चुका है. इसके साथ ही मल्टीमॉडल कार्गो टर्मिनल का बड़ा हब बनाया जा रहा है. कार्गो टर्मिनल के माध्यम से इंपोर्ट एक्सपोर्ट को बड़े स्तर पर बढ़ावा मिलेगा.


नोएडा अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट को पूरी तरह से डिजिटल एयरपोर्ट बनाया जाएगा. इसमें इनडोर नेविगेशन, पैसेंजर फ्लोर मैनेजमेंट, स्मार्टफोन द्वारा चेक इन, बैगेज ड्रॉप और सभी चेकप्वाइंट पर डिजिटल प्रोसेसिंग जैसे टेक्नोलॉजीज का इस्तेमाल किया जा रहा है.