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नोएडा: अब ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल होने वाले फोसोम इंजेक्शन का टोटा, हैरान करने वाली है जमीनी हकीकत
कोरोना से ठीक होने के बाद अब लोगों को अब ब्लैक फंगस इंफेक्शन की घातक बीमारी जकड़ रही है. लेकिन नोएडा में हालात ये हैं कि अस्पताल की फार्मेसी में ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन नहीं हैं.
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नोएडा: अभी तक रेमडेसिविर इंजेक्शन, ऑक्सीजन और प्लाज्मा की कालाबाजारी हो रही थी. लेकिन, जमीर गिरा चुके लोगों ने अब ब्लैक फंगस इंफेक्शन के इलाज में इस्तेमाल फोसोम-50 एमजी और अम्फोटेरिसिन B की भी कालाबाजारी शुरू कर दी है. जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहे मरीजों के स्वजन इंजेक्शन के लिए दिल्ली-एनसीआर के अस्पतालों की फार्मेसी के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन निराशा ही हाथ लग रही है.
लोगों को जकड़ रही है ब्लैक फंगस की बीमारी
कोरोना से ठीक होने के बाद अब लोगों को अब ब्लैक फंगस इंफेक्शन की घातक बीमारी जकड़ रही है. ऐसे ही एक मरीज को 10 मई को इलाज के लिए मेरठ स्थित प्यारे लाल अस्पताल ले जाया गया. मेरठ में समुचित इलाज नहीं होने पर उन्हें वापस नोएडा ले आए और कैलाश अस्पताल में भर्ती कराया गया.
नहीं मिला इजेक्शन
डॉक्टरों ने फंगस इंफेक्शन बताकर उनका इलाज शुरू किया. इलाज से पूर्व ही मरीज की दोनों आंखें पूरी तरह से बंद हो चुकी थीं. उन्हें कुछ ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था. अस्पताल के डॉक्टरों ने फार्मेसी में ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल इंजेक्शन नहीं होने पर इसका प्रबंध करने को कहा. इंजेक्शन के लिए परिजनों ने नोएडा के सभी बड़े अस्पतालों की फार्मेसी और मेडिकल स्टोर पर संपर्क किया. दिल्ली, फरीदाबाद, मेरठ में रहने वाले रिश्तेदारों से पता किया, लेकिन इंजेक्शन कहीं भी नहीं मिला.
तेजी से बढ़ रहे हैं ब्लैक फंगस के मरीज
जिले में ब्लैक फंगस इंफेक्शन के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं. यथार्थ अस्पताल में कोरोना से ठीक होने के बाद ब्लैक फंगस के अब तक छह मरीज सामने आ चुके हैं. इनमें से एक मरीज की मौत हुई है. अब दूसरे अस्पतालों में भी ब्लैक फंगस के मरीज सामने आने लगे हैं. हालात ये हैं कि अस्पताल की फार्मेसी में ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन नहीं हैं. मरीजों के लिए इंजेक्शन की व्यवस्था नहीं हो पा रही है.
इंजेक्शन की मांग बढ़ी है
जिला औषधि निरीक्षक वैभव बब्बर का कहना है कि पिछले तीन दिनों में इंजेक्शन की मांग बढ़ी है. इंजेक्शन की आपूर्ति गाजियाबाद स्थित कंसाइनमेंट फॉरवर्डिंग एजेंसी (सीएएए) को निर्माता कंपनी की ओर से सीधे की जाती है. आपूर्ति बहाल होने में एक दो दिन का समय लग सकता है. कालाबाजारी की सूचना पर कार्रवाई की जाएगी.
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