Noida Sheroes Cafe: दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) में आपने एक से एक कैफे (Cafe) देखे होंगे. उनमें में से किसी में आपने अच्छा खाना खाया होगा और वहां के एंबिएंस को एंजॉय भी किया होगा. किसी ने गरीबी से निकलकर कैफे खोल महारत हासिल की, तो किसी ने अपने खाने को फेमस बनाकर अपने कैफे को पॉपुलर बनाया. वहीं किसी ने वहां के इंटीरियर और सिटिंग को लेकर पॉपुलैरिटी हासिल की, लेकिन नोएडा में एक ऐसा कैफ है, जिसको देखकर आप दंग रह जाएंगे. यहां का खाना खाने और एंबिएंस को देखकर आप इसे चलाने वालों के हौसले को सलाम किए बगैर नहीं रह पाएंगे.
यह कैफे ऐसे लोगों द्वारा चलाया और बनाया गया है, जिनको हमारा समाज अभी तक पूरी तरीके से अपना नहीं पाया है. दरअसल नोएडा के सेक्टर 21ए में स्थित नोएडा स्टेडियम में एसिड अटैक सर्वाइवर लड़कियां शीरोज कैफै चला रही हैं. हमारे देश में हर साल करीब 100 मामले ऐसे आते हैं, जिनमें लड़कियों के चेहरे पर एसिड डालकर उनका चेहरा खराब कर दिया जाता है और वह इसलिए किया जाता है, ताकि यह लड़कियां अपने चेहरे को लेकर किसी के सामने न जा पाए, किसी से नजर ना मिला पाए और जीवन भर मानसिक कुंठा में घुटने को मजबूर हो जाए.
शी और हीरोज से मिलकर तैयार हुआ है शीरोज
दिल्ली-एनसीआर का यह पहला ऐसा कैफे है, जिसे एसिड अटैक सर्वाइवर लड़कियां चलाती हैं. इस कैफे का नाम शीरोज है. यह शब्द शी और हीरोज से मिलकर तैयार हुआ है. इस कैफे को सात एसिड अटैक सर्वाइवर लड़कियां मिलकर चला रही हैं. यह सब वो लड़कियां हैं, जो इस हादसे के बाद महीनों और सालों तक अपने चेहरे को आईने में भी नहीं देख पा रही थीं, बाहर निकलना तो दूर की बात थी, लेकिन अब ये लड़कियां अपने चेहरे को छुपा कर नहीं, बल्कि सबके सामने आकर जमकर मेहनत करती हैं और अपना घर चला रही हैं.
नोएडा अथॉरिटी ने दी है जगह
इस कैफे के लिए नोएडा स्टेडियम में जगह नोएडा अथॉरिटी ने दी और इन लड़कियों की मदद एक फाउंडेशन ने भी की. जिन लड़कियों को इन घटनाओं के बाद नौकरी नहीं मिलती, जो अपनी मेहनत से अपना घर चलाना चाहती हैं, उन लड़कियों के लिए यहां के दरवाजे हमेशा खुले हुए हैं. इस कैफे को चलाने वाली 7 लड़कियां अपने हौसले से आने वाले समय में एसिड विक्टिम्स के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रहना चाहती हैं और यह भी कहती हैं कि वह किसी भी ऐसी लड़की का हाथ नहीं छोड़ेंगे, जिसके साथ ऐसी कोई घटना हुई हो.
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2016 में लखनऊ में हुई थी शीरोज कैफे की शुरूआत
शीरोज कैफे की शुरूआत 2014 में आगरा में, 2016 में लखनऊ में और फिर 2022 में नोएडा में हुई. देश भर के अलग-अलग राज्यों से आई 7 लड़कियां नोएडा में कैफे चलाती हैं, जिनमें रितु हरियाणा के रोहतक की रहने वाली है, जिसके चेहरे पर 26 मई 2012 में एसिड डाला गया था. वहीं नगमा यूपी के बलरामपुर की रहने वाली है, जिसके साथ एसिड अटैक की घटना 6 जून 2014 को हुई थी. इसके बाद मानिनि ओडिशा की रहने वाली है, जिसके साथ एसिड अटैक की घटना 2016 में हुई थी. इनके साथ ही रूहा यूपी के मुजफ्फरनगर की रहने वाली है, जिसके साथ 2008 में यह घटना हुई थी.
अब एसिड विक्टिम सर्वाइवर को चेहरे से नहीं है कोई दिक्कत
साथ ही वेस्ट बंगाल की मौसमी जिसका एक्सीडेंट हुआ था 2019 में और उसका चेहरा पूरी तरीके से बिगड़ गया था, वह भी इनके साथ है. साथ ही सीमा यूपी के अकबरपुर की रहने वाली है, जिसके ऊपर एसिड अटैक 2016 में हुआ था. यह सभी एसिड विक्टिम सर्वाइवर यहां इस कैफे को चलाती हैं. इन लड़कियों ने बताया कि पहले इन्हें बहुत अजीब लगता था, इस चेहरे को लेकर कैसे किसी के सामने जाएं, हमेशा इसे ढक कर रखना मजबूरी हो गई थी, लेकिन अब इन्हें इस चेहरे से कोई दिक्कत नहीं है.
छांव फाउंडेशन नाम की संस्था ने दिया सहारा
ये लड़कियां कहती हैं कि लोगों से हमें काफी सराहना मिल रही है. लोग हमें काफी मोटिवेट कर रहे हैं और अब हम अपनी जैसी और लड़कियों के लिए मददगार साबित हो सकते हैं. छांव फाउंडेशन नाम की संस्था ने इन्हें सहारा दिया, इन्हें चलने का रास्ता दिखाया और अपने आपको समाज में दोबारा खड़ा करने में मदद की. आगरा, लखनऊ और नोएडा के शीरोज कैफे को मिलाकर लगभग 35 से ज्यादा एसिड अटैक सर्वाइवर लड़कियां काम कर रही हैं और समाज में एक बार फिर से सभी को यह संदेश दे रही हैं कि जिन अपराधियों ने उनके साथ ऐसी घटना की है, उससे इनके हौसले टूटे नहीं हैं.
काम करने की भी दी जा रही है पूरी ट्रेनिंग
यह फिर से खुद को खड़ा कर अपने हौसलों को उड़ान दे रही हैं. यहां पर न सिर्फ इन लड़कियों को अपने पैरों पर खड़ा होना सिखाया जा रहा है, बल्कि इन्हें दूसरे क्षेत्रों में काम करने की पूरी ट्रेनिंग भी दी जा रही है, जिसके बाद आने वाले समय में यह बड़े-बड़े दफ्तरों में भी आम लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करती हुई दिखाई दे सकती हैं.
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