UP Corona Effect: नए साल की शुरुआत से ही देशभर में कोरोना की तीसरी लहर का असर देखने को मिल रहा है. कोरोना के आंकड़ों में लगातार तेजी देखी जा रही हैं. जिसके बाद दिहाड़ी मजदूरों के सामने एक बार फिर रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया. दिल्ली से सटे नोएडा में भी पिछले एक हफ्ते से कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है जिसका सीधा असर रोजाना कमाने खाने वाले मजदूरों पर पड़ रहा है क्योंकि लोग इस महामारी के डर से ना तो कोई काम करा रहे हैं और ना ही किसी लेबर को घर पर काम के लिए बुलाया जा रहा है.

 

मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट

अकेले गौतम बुद्ध नगर जिले की बात करें तो यहां करीब 10 लाख गरीब तबके के लोग मेहनत-मजदूरी करके अपनी गुजर-बसर कर रहे हैं और इनमें सबसे ज्यादा संख्या प्रवासी मजदूरों की है. कोरोना की लहर ने जब से अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है. उसके बाद से ही मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा होता जा रहा है. इसका जीता जागता उदाहरण हमने कोरोना की पहली लहर में देखा भी था. जब रोजगार के अभाव में लाखों की संख्या में मजदूर पैदल ही अपने घर की ओर रवाना हो गए थे. 

 

हालात से बेहद डरे हुए हैं मजदूर

इस बार ऐसी दुखद परिस्थितियां दोबारा ना देखनी पड़े ऐसे में जरूरी कदम उठाने होंगे. कोरोना के आंकड़े देखते हुए ये मजदूर काफी ज्यादा डरे हुए है. ऐसे ही मजदूरों के हालाल जानने के लिए एबीपी गंगा कुछ मजदूरों के पास पहुंचा और उनके दर्द को समझने की कोशिश की जब हमारी टीम इन मजदूरों के पास के पास पहुंची तो उनकी आंखे नम हो गईं. उन्होंने अब जो दर्द बयान किया उसे सुनकर आपका दिल भी रो पड़ेगा.
  

 

मजदूरों को सता रही है ये चिंता

नोएडा में कुछ सालों में मजदूरी कर रहे एक मजदूर ने कहा कि हमें नए साल का बेसब्री से इंतजार था और उम्मीद थी कि नए साल में सब कुछ ठीक हो जाएगा. पिछली बार कोरोना काल में घर खर्च चलाने के लिए कर्ज लेना पड़ा और कर्ज ये सोच कर लिया था कि जब इस महामारी से निज़ात मिलेगी तो मेहनत मजदूरी कर सारा कर्ज उतार दूंगा. लेकिन इस कोरोना की वजह से ना तो कोई दिहाड़ी का काम मिल रहा है और ना ही कोई नौकरी. ऐसे में कैसे घर का चूल्हा जले और कैसे सर से कर्ज का बोझ उतरे यही चिंता हम मजदूरों को रात दिन सताए जा रही है.

 

मजदूरों को नहीं मिल पा रहा है काम

उसने कहा कि आज हालात ऐसे हो गए है कि करीब 8 दिन से कोई काम नहीं मिल रहा है ऐसे में घर पर पैसा भेजना तो दूर अपने लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ भी करना मुश्किल हो रहा है. गांव से यह सोचकर यहां पर आए थे कि रात दिन मेहनत मजदूरी कर खूब पैसा कमाऊंगा ताकि सर पर चढ़ा कर्ज का बोझ उतार कर अपने परिवार के लिए ढेर सारी चीजें यहां से खरीदकर ले जाऊं और परिवार के चेहरे पर वो खुशियां फिर से लौटा सकूं जिन्हें उनके चेहरे पर देखे हुए काफी समय बीत गया है. 

 

मजदूरों की हालत सुनकर रो पड़ेंगे 

इसी दौरान रामू नाम का मजदूर भावुक होकर रोने लगा. उसने बताया कि आज हालात ये है कि घर वापसी की टिकट के लिए भी पैसे नहीं है ताकि घर जाकर अपने परिवार के साथ दुख बांट सकूं. हर रोज नहा कर भगवान से प्रार्थना कर इस उम्मीद से निकलता हूं कि आज काम मिलेगा लेकिन सुबह से शाम हो जाती है काम के इंतजार में लेकिन काम नहीं मिलता और फिर निराश होकर वापस लौटना पड़ता है.  पिछले 8 दिनों से लगातार यही हाल है. पता नहीं आगे क्या होगा?

 

मजदूर आखिर करें तो करें क्या?

कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्य सरकार ने कई कड़े फैसले लिए हैं और सभी से कोविड गाइडलाइंस का पालन करने की अपील की हैं. लेकिन इस महामारी का सबसे ज्यादा असर दिहाड़ी मजदूरों पर पड़ रहा है जिन्हें रोज कमाना होता है और रोज खाना होता है लेकिन इस महामारी की वजह से न तो इन्हें काम मिल रहा है और ना ही रोजगार. ऐसे में ये दिहाड़ी मजदूर करे तो करे क्या?

 

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